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सर्वोच्च न्यायालय के नाम खुला पत्र



by Himanshu Kumar on Saturday, December 3, 2011 at 8:46p.m.









माननीय न्यायाधीश महोद्य,
सर्वोच्च न्यायालय,
नईदिल्ली

यह पत्र मैं आपको सोनी सोरी नाम की आदिवासी लड़की के सम्बन्ध में लिख रहा हूँ, जिसके गुप्तांगो में दंतेवाडा के एस.पी. ने पत्थर  भर दिये थे और जिसका मुकदमा आपकी अदालत में चल रहा हैІ उस लड़की की मेडिकल जाँच आपके आदेश से कराई गई और डाक्टरों ने उस आदिवासी लड़की के आरोपों को सही पाया और डाक्टरी रिपोर्ट के साथ उस लड़की के गुप्तांगो से निकले हुए तीन पत्थर भी आपको भेज दियेІ
कल दिनांक ०२-१२-२०११ को आपने वो पत्थर देखने के बाद भी उस आदिवासी लड़की को छत्तीसगढ़ के जेल में ही रखने का आदेश दिया और छत्तीसगढ़ सरकार को डेढ़ महीने का समय जवाब देने के लिए दिया हैІ
जज साहब मेरी दो बेटियाँ हैं अगर किसी ने मेरी बेटियों के साथ ये सब किया होता तो मैं ऐसा करने वाले को डेढ़ महीना तो क्या डेढ़ मिनट की भी मोहलत न देता! और जज साहब अगर यह लड़की आपकी अपनी बेटी होती तो क्या उसके गुप्तांगों में पत्थर डालने वालों को भी आप पैंतालीस दिनों का समय देते? और क्या उससे ये पूछते कि आपने मेरी बेटी के गुप्तांगों में पत्थर क्यों डाले? पैंतालीस दिन के बाद आकर बता देना और तब तक तुम मेरी बेटी को अपने घर में बंद कर के ररख सकते हो !

पत्थर डालने वाले उस बदमाश एस. पी. को पता है कि उसकी रक्षा करने के लिये आप यहाँ सुप्रीमकोर्ट में बैठे हुए हैं इसलिए वह बेफिक्र होकर खुलेआम इस तरह की हरकत करता है और आपके कल के आदेश ने इस बात को और पुख्ता कर दिया है, कि इस तरह से हरकत करने वालों की रक्षा सुप्रीमकोर्ट लगातार उसी तरह करता रहेगा जिस प्रकार वो अंग्रेजों के समय से सरकारी पुलिस की रक्षा के लिए करता रहा हैІ
    जज साहब ये अदालत उस आदिवासी लड़की की रक्षा के लिए बनायीं गयी थी उस बदमाश एस.पी. के लिए नहीं І ये इस लोकतांत्रिक देश की सर्वोच्च न्यायालय है और इसका पहला काम देश के सबसे कमजोर लोगों की रक्षा सबसे पहले करने का है !आपको याद रखना पड़ेगा कि इस देश के सबसे कमजोर लोग महिलायें, आदिवासी, दलित, भूख से मरते हुए करोडों लोग हैं और इस अदालत को हर फैसला इन लोगों के हालत को बेहतर बनाने के लिए देना पड़ेगाІ लेकिन आजादी के बाद से इन सभी लोगों को आपकी तरफ से उपेक्षा और इनकी दुर्गति के लिए जिम्मेदार लोगों को संरक्षण दिया गया हैІ
मेरे पिताजी इस देश के आजादी के लिए लड़े थेІ उन सभी आजदी के दीवानों के क्या सपने थे? उन लोगों ने कभी कल्पना भी की होगी कि आज़ादी मिलने के बाद एक दिन इस देश की सर्वोच्च न्यायालय एक आदिवासी बच्ची के बजाय उसपर अत्याचार करनेवाले को संरक्षण प्रदान करेगीІ
    हमें बचपन से बताया गया इस देश में लोकतंत्र है इसका मतलब है करोडों आदिवासियों, करोडों दलितों, करोडों भूखों का तंत्रІ लेकिन आपके सारे फैसले इन करोडों लोगों को बदहाली में धकेलने वाले लोगों के पक्ष में होते हैंІ आपको जगतसिंह पुर उडीसा में अपनी जमीन बचाने के लिए गर्म रेत पर लेटे हुए औरतें व बच्चे दिखाई नहीं देते? उनके लिए आवाज उठाने वाले कार्यकर्ता अभय साहू को जमीन छीनने वाले कंपनी मालिकों के आदेश पर सरकार द्वारा गिरफ्तारी आपको दिखाई नहीं देती?
आपकी अदालत में गोम्पाड गांव में सरकारी सुरक्षाबलों द्वारा तलवारों से काट डाले गये सोलह आदिवासियों का मुकदमा पिछले दो साल से घिसट रहा हैІ इस अदालत में उन आदिवासियों को लाते समय मुझे एक नक्सलवादी नेता ने चुनौती दी थी और कहा था कि इन आदिवासियों की हत्या करने वाले पुलिसवालों को अगर तुम सजा दिलवा दोगे तो मैं बंदूक छोड़ दूँगाІ लेकिन मैं हार गयाІ इस अदालत में आने के सजा के तौर पर पुलिस ने उन आदिवासियों के परिवारों का अपहरण कर लिया और वे लोग आज भी पुलिस की अवैध हिरासत में हैंІ आपने दोषियों को अब तक सजा न देकर इस देश की  सरकार को नहीं जिताया, आपने मुझे चुनौती देने वाले उस नक्सलवादी को जीता दियाІ अब मैं किस मुंह से उस नक्सलवादी के सामने इस देश के महान लोकतंत्र और निष्पक्ष न्यायतंत्र की डींगे हांक सकता हूँ ? और उसके बन्दूक उठाने को गलत ठहरा पाऊँगा ?
अगर इस देश में तानाशाही होती तो हमें संतोष होता, हम उस तानाशाही के खिलाफ लड़ रहे होते, परन्तु हमसे कहा गया कि देश में लोकतंत्र है ! परन्तु इस तंत्र की प्रत्येक संस्था, विधायिका, व्यवस्थापिका और न्यायपालिका मिलकर करोडों लोगों के विरुद्ध और कुछ धनपशुओं के पक्ष में पूरी बेशर्मी के साथ कार्य कर रहे हैंІ इसे हम लोकतंत्र नहीं लोकतंत्र का ढोंग कहेंगे और अब हम लोकतन्त्र के नाम पर इस ढोंगतंत्र को एक दिन के लिए भी बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैंІ
आज मैं प्रण करता हूँ कि आज के बाद किसी गरीब का मुकदमा लेकर आपकी अदालत नहीं आऊंगाІ अब मैं जनता के बीच जाऊंगा और जनता को भड़काऊगा कि वह इस ढोंगतंत्र पर हमला करके इसे नष्ट कर दें ताकि सच्चे लोकतन्त्र की ईमारत खड़ी करने के लिए स्थान बनाया जा सकेІ
    अगर आप इस लड़की को इसलिए न्याय नहीं दे पा रहे हैं कि उससे सरकार नाराज हो जाएगी और उससे आपकी तरक्की रुक जायेगी І तो ज़रा इतिहास पर नजर डालिए ! इतिहास गलत फैसला देने वाले न्यायाधीशों को कोई स्थान नहीं देता І सुकरात को सत्य बोलने के अपराध की सजा देने वाले न्यायाधीश का नाम कितने लोगों को याद है? जीसस को चोरों के साथ सूली पर कीलों के साथ ठोक देने वाले जज को आज कौन जानता है? आपके इस अन्याय के बाद सोनी सोरी इतिहास में अमर हो जायेगी और इतिहास आपको अपनी किताब में आपका नाम लिखने के लिए एक छोटा सा कोना भी प्रदान नहीं करेगाІ हाँ अगर आप संविधान की सच्ची भावना के अनुरूप इस कमजोर, अकेली आदिवासी महिला को न्याय देते हैं तो सत्ताधीश भले ही आपको तरक्की न दें लेकिन आप अपनी नजरों में, अपनी परिवार के नजरों में और इस देश के नजरों में बहुत तरक्की पा जायेंगेІ

   अगर आप इस पत्र को  लिखने के बाद मुझे गिरफ्तार करते हैं तो मुझे गिरफ्तार होने का जरा भी दुःख नहीं होगा क्योंकि उसके बाद मैं कम से कम अपनी दोनों बेटियों से आँख मिलाकर बात तो कर पाउँगा ,और कह पाउँगा कि मैं सोनी सोरी दीदी के साथ होनेवाले अत्याचारों के समय डर के कारण चुप नहीं रहा, और मैंने वही किया जो एक पिता को अपनी बेटी के अपमान के बाद करना चाहिए थाІ

Comments

  1. Jai parsuram isliye main logo ko kehta hu ye duniya ek jangal fir se hume parsuram banna hoga is samaj ki raksha hetu jai parsuram

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  2. DIL LO HILA DENE WALI GATNA HAI. SUP. COURT KO IS TERF DYAN DENA CHAHIYE OR SONI SORI KO NYAYE MILNA CHAHIYE

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  3. sahi likha . isee tarah maine lucknow se mayar ka chunav ladte hue aamran anshan kiya thaa to poore ucknow me cabletv and pamplet se saaf kaha thaa ki kaun si aachaar sanhita

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  4. kise suna rahe hai bhai sahab jante nahi kanoon ki aankh me jo patti bandhi hai vo aankh hi nahi kanoon k kaan bhi band kar deti hai aise me kyu apni anargy waist kar rahe hai. yahan koi sunne wala nahi hai. han vo so called kanoon ki devi k muh par bhi patti bandh deni chahiye

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  5. नक्सलवाद इन्ही कारणों से पनपता है वो अलाग्बात है बाद में दिशा बदल जाती है अगर शुरू में ही व्यवस्था ठीक हो जाये तो आज ये नौबत न आये

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  6. हम सब आपके साथ हे में आपकी भावनायो को महसूस कर सकता हू क्योकि में भी न्यायपालिका के पक्षपाती रवैये और निरंकुशता से प्रभावित हू हम मिलकर इस अन्याय के खिलाफ लड़ने को तैयार हे

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  7. पूरी घटना ने एक बार फिर कहने को बिवश किया कि देश नकारा लोकतँत्र के चलते लुटेरोँ और बेईमानोँ के कब्जे मे है । घटित अपराधोँ का सत्तर प्रतिशत जजोँ के कारनामोँ की देन है । तो भी सँघर्ष करना ही होगा । आपके प्रयासोँ को नमन ।

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  8. is desh me jis chez ke jaha nahi jarurat hote hai wahi (woh cheej) adbada ke hote hai'RAKSHAK HE BHACHAK' farmula burocret's ne le liya hai kyoki un haram ke khane walo ko malum hai ke unke aghosit 'BAAP' leader & 'NAAYE' ka thaka liye chand hetaise unahay kise bhe tarah safe kar lenge...yeh belagami desh hit me nahi ...

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  9. i m with u & wan a help u-----Dr Harish maikhuri, adocate, gopeshwar, chamoli, uttarakhand 09412032471 , 9997821196

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  11. supreme court is just a mockery. Lawyers making lacs per day with the support of judges.It is not for supreme judgement rather supreme income of lawyers.If one is not having lacs of rupees,he/she can not get justice in supreme court.

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  12. It is indeed a pity. We can understand the helplessness of the poor girl and his family. And if the family takes to arms or other violent means you call them anti establishment. Have they any other choice after this kind of insensitive judgement.
    Can't we all do something together for this cause!

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  13. Priya bandhu likhte rahie aaj nahi to kal PARIVARTAN aayega aur aap ko apni betion ke saamne sharminda nahi hona. Aap ke is kadam ne hi aap ko unki najron me uoncha utha diay hai. Kyonki beshumar patrakaron ki bheed me se aap no bolne ka to sahas kiya.

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