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Showing posts from July, 2011

मीडिया की आड़ में क्लीनिक चलाता फर्जी सेक्सोलोजिस्ट

       कानपुर में काकादेव क्षेत्र में लगातार दूसरी  बार  भारत गौरव पुरुस्कार प्राप्त देश के नंबर-१ सेक्सोलोजिस्ट  होने का दावा करने वाले एक डॉक्टर के क्लीनिक पर १८ जुलाई को कानपुर के आला स्वास्थय अधिकारिओं का छापा पड़ा. डॉक्टर का क्लीनिक अवैध तरीके से चलाये जाने के कारण से सील कर दिया जाता है. डॉक्टर ने इसके बाद सफाई देते हुए एक प्रेस कोंफ्रेंस की . अपने बेहतर मीडिया संबंधों के कारण उसने अगले दिन अपनी बची-खुची साख को बचाने के लिए लिफाफा संस्कृति के दम पर शहर के सभी प्रमुख समाचार-पत्रों में स्थान पाया. इस डॉक्टर के क्लीनिक सील हो जाने से सबसे ज्यादा परेशान कानपुर अमर उजाला के स्वास्थ्य संवाददाता ने खबर लिखने में सारी सीमाएं तोड़ दी.        कभी हिन्दुस्तान अखबार के संवाद-सूत्र रहे व्यक्ति का बेटा आनंद झा कानपुर में काकादेव में अंग-विशेष के "कडा-खडा और बड़ा" करने का क्लिनिक चलाता है. अपने काम के प्रति इतना मशहूर हो चला है की उसके क्लीनिक और घर की गली तक "झा वाली गली" कहलाती है. उसके बाबा और बाप भी यही धंधा वर्षों से कर रहे थे. उसकी बहन मीनाक्षी झा हिन्दुस्तान &q

है या नहीं का भ्रम

            लोग शिकायतों का पुलिंदा होते हैं, ये मान कर ही अधिकारी उन्हें खुद से दूर रखते हैं.इसकी वजह होने और न होने का भ्रम है. जिसके गूढ़ रहस्यों को समझना होगा.आते ही शिकायत दर्ज कराते हैं , नल है मगर पानी नहीं है. ये बिचारे नहीं जानते की इस  देश में चीजें होती इसीलिए हैं की उनमें वह न हो जिसके लिए वे होती हैं.             नल है,मगर पानी नहीं आता. हैंडपंप हैं,मगर चल नहीं रहे. विभाग हैं, काम नहीं करते. टेलीफोन लगाया, लगा नहीं. अफसर हैं, मगर छुट्टी पर हैं. बाबू है, मगर उसे काम नहीं पता है. आवेदन किया था, मंजूर नहीं हुआ. रिपोर्ट लिखाई थी, कुछ हुआ नहीं. जांच हुयी थी, रिपोर्ट नहीं आई. योजना स्वीकृत है, पर बजट मंजूर नहीं है. बजट स्वीकृत है, रुपया नहीं आया. पद है, पर आजकल खाली है. आदमी योग्य था, तबादला हो गया. आफिसर ठीक है, मगर उसके मातहत खाली हैं. भाई, मातहत तो काम करना चाहते हैं, ऊपर से ऑर्डर नहीं आता. मशीन आ गयी, बिगड़ी पड़ी है. कारखाना है, बिजली नहीं है. उत्पादन हो रहा है, बिक्री नहीं है. मांग है तो पूर्ती नहीं है. पूर्ती कर सकते है, कोई डिमांड नहीं है.             यात्री खड़े हैं, ट