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Showing posts from February, 2012

तो क्या बदल जाएँगी कानपुर की सभी विधानसभा सीटें ??//

मुद्दा और लहर विहीन चुनाव का पांचवा चरण शांतिपूर्वक संपन्न           कानपुर के सभी दस सीटों पर मतदान शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. विगत विधानसभा चुनाओं में यहाँ लगभग चवालीस प्रतिशत मतदान रहा था, इसकी अपेक्षा आज 57 प्रतिशत मतदान हुआ. प्रदेश में हो रहे चुनाव के पूर्व के चरणों की भांति कानपुर में भी मतदान का प्रतिशत बढ़ने के साथ पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण संपन्न हुयी. कहीं किसी प्रकार कि अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली. एक दो जगहों पर मशीन कि गद्बदिके कारण कुछ समय के लिए मतदान प्रक्रिया बाधित रही पर कोई खास विरोध आदि नहीं हुआ. मतदाता सूची में काफी मतदाताओं के नाम कटे हुए थे जिस वजह से हजारों मतदाता वोटर कार्ड धारक होने के बावजूद बिना वोट डाले रह गए.            कानपुर नगर कि शहरी सीमा में कल्यानपुर में प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहीं प्रेमलता कटियार भाजपा से प्रत्याशी थीं उनका सीधा मुकाबला बसपा के निर्मल तिवारी और सपा के सतीश निगम से था. इस त्रिकोणीय संघर्ष में कांग्रेस के देवी प्रसाद तिवारी ने कहीं-कहीं मतदाताओं को रिझाने में पूरी मशक्कत कर मुकाबला चतुष्कोणीय करने की असफल कोशिश की. निर्

चुनाव बाद आयेगा बेतालों का मौसम

        उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालातों को देखते हुए याद आती है बचपन में पढ़ी “विक्रम-बेताल” की कहानी. जिसमें बताए गए दोनों चरित्रों ने अपने हित साधने के लिए एक दूसरे पर लदने और लादने का फैसला लिया था. जैसे ही हित पूरा हुआ और दोनों की राहें जुदा हो गयी थीं . चुनावी परिस्थितियों के यथार्थ में ये खेल राजनीतिक दल सत्ता पाने और उसकी होड़ में बने रहने के लिए कहानी के इन दोनों पात्रों में से कोई भी बन जाने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. अब तक सभी राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा-पत्र जारी हो चुके हैं.सारे प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं. सभी दलों के स्टार प्रचारकों ने कमान सम्हाल ली है. सत्ता को निशाने पर रख कमान पर तीर साधे जा चुके हैं, किन्तु छोड़े नहीं जा रहे हैं. इस जमीनी हकीकत की वजह ये है, कोई भी राजनीतिक दल अकेले स्वयं को बहुमत पाने की स्थिति में पा रहा है. बहुमत की जादुई संख्या पाने का कोई रास्ता दीख नहीं रहा है. मतदाता को लुभाने, खरीदने और धमकाने पर चुनाव आयोग की नजर है. राजनीतिक दलों में भय का कारण मतदाताओं की चुप्पी है, जिसने सूचना-क्रान्ति के युग में ये जरूर जान लिया है की