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Showing posts from November, 2018

प्राथमिक शिक्षा और भ्रष्टाचार का समाजवादी माडल

प्रत्येक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में ग्राम शिक्षा समिति नाम के सरकारी बैंक खाते में ग्राम-प्रधान और प्रधानाध्यापक की साझेदारी होती है। प्रति वर्ष विद्यालय के बच्चों की ड्रेस, मध्यांह भोजन की कंवर्जन-कास्ट और विद्यालय की रंगाई-पुताई की लागत आदि इस खाते में आती है। विगत चार वर्षों से ड्रेस आपूर्ति करने की कम्पनी का निर्धारण केंद्रीय स्तर हो जाता है, जिसमें अघोषित रूप से सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को गुप्त निर्देश दे दिया जाता है की ड्रेस की आपूर्ति फ़लाँ सप्लायर ही करेगा। जिस दर पर ड्रेस की आपूर्ति करनी होती है, उस दर की चेक सप्लायर  प्रधानाध्यापक से एकत्र कर लेता है।प्रधान, प्रधानाध्यापक, खंड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी तक पहुँचने वाली रक़म के बँटने के बाद शेष धन से बच्चों को ड्रेस उपलब्ध कराई जाती है। प्रत्येक विद्यालय को वार्षिक रंगाई-पुताई के नाम पर पाँच से साढ़े सात हज़ार रुपये प्रदान किए जाते हैं, जिसके लिए कड़े दिशा-निर्देश भी जारी किए गए होते है कि पेंट किस कम्पनी का होगा और पुताई किस रंग की होगी, आदि-आदि। आज के बड़े आकार के विद्यालय-परिसर की पुताई के ल