इलाहाबाद के कमिश्नर मुकेश मेश्राम ने 'जल-संरक्षण और वर्षा जल-संचयन' के मुद्दे पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला में आये मंडल के सभी मुख्य विकास अधिकारिओं और ब्लाक विकास अधिकारिओं को संबोधित करते हुए "किताब पढने और तालाब खुदवाने' पर जोर दिया.इस कार्यक्रम का आयोजन 25
अप्रैल को कमिश्नरी इलाहाबाद के 'गांधी सभागार' में हुआ था.कार्यशाला में मनरेगा और वन निभाग के मंडलीय अधिकारिओं के अतिरिक्त जल-संरक्षण के विशेषज्ञ के रूप में जल-बिरादरी के अरविन्द त्रिपाठी उपस्थित रहे.
अपने स्वागत भाषण में श्री मेश्राम ने मानव के जीवन में पानी की महत्ता पर जोर देते हुए रहीम द्वारा रचित पंक्तियों को आज भी सर्वथा सत्य बताया.उन्होंने कहा एक वृक्ष अपने जीवन और जीवन के बाद भी मानव के जीवन के ब्व्हाले के लिए काम करता है. शास्त्रों में एक वृक्ष को दस पुत्रों से अधिक श्रेष्ठ बताया गया है. जल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है. उन्होंने सरकारी अधिकारिओं को मंडल में तालाबों के संरक्षण को प्रथम प्राथमिकता पर रखने पर जोर देते हुए प्रख्यात गांधीवादी डा. अनुपम मिश्र की पुस्तक "आज भी खरे हैं तालाब", सी.एस. ई. की पुस्तक "बूंदों की संस्कृति", सहित पांच किताबों का सेट उपहार दिया और इन पुस्तकों का अध्ययन करने पर जोर दिया. इस अवसर पर उनके द्वारा लिखित पुस्तक "सूखा कुआँ" का भी विमोचन अरविन्द त्रिपाठी के द्वारा किया गया.श्री मेश्राम ने मुख्य विकास अधिकारी , इलाहाबाद द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का उदघाटन किया.
कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में कानपुर से आये अरविन्द त्रिपाठी ने समस्त अधिकारिओं को आभार व्यक्त करते हुए अपने उद्बोधन में कहा वर्षा जल का नब्बे से अधिक प्रतिशत भाग प्रति वर्ष बेकार
हो जाता है और मानव के किसी भी काम नहीं आ पाता है. सरकारी अधिकारिओं को अपने स्तर पर इस व्यर्थ होने वाले जल के संरक्षण की उपयोगिता और संरक्षण के लिए स्पष्ट कार्ययोजना बनानी चाहिए.प्रदेश भर में चलायी जा रही आदर्श जलाशय योजना की कमिओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. देश की बढती
आबादी के मद्देनजर पेयजल के बढ़ते संकट के प्रति अब चिंतनीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.साथ ही ऐसा फसल-चक्र बनाना चाहिए जो किसी क्षेत्र विशेष की मृदा और जल की उपलब्धता के मद्देनजर उपयुक्त हो. मनरेगा विशेषज्ञ के तौर पर लखनऊ से आये प्रकाश भागवत ने मनरेगा संबंधी समस्याओं और नियमावली को स्पष्ट किया. उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारिओं को सही लागत के आधार पर योजनायें बनाने की चेतावनी दी साथ ही कच्चे और पक्के काम का सही अनुपात रखने पर जोर दिया. उन्होंने बताया की सही अनुपात न होने की दशा में बहुत सारे प्रोजेक्ट पूरे न किये जा सके और इस योजना का बहुत सारा धन बिना प्रयोग किये ही रहा गया है. सौ दिन के रोजगार के सम्बन्ध में व्याप्त भ्रम को दूर करते हुए श्री भागवत ने कहा की यदि सौ दिन से अधिक रोजगार की संभावनाएं बने तो वैधानिक रूप से गलत नहीं होगा क्योंकि इस योजना में ऎसी कोई बाध्यता नहीं है जिसमें इससे अधिक कार्य-दिवसों का सृजन नहीं किया जा सकता है.इलाहाबाद प्रखंड वन अधिकारी राजीव मिश्र ने मंडल के सभी जिलों में कम होते वन्य क्षेत्र का विवेचन करते हुए सघन वृक्षारोपण पर जोर दिया.इस वर्ष इस दिशा में और ज्यादा काम करने पर जोर देते हुए उन्होंने सभी मुख्य विकास अधिकारिओं से सहयोग की उम्मीद जताई.
अप्रैल को कमिश्नरी इलाहाबाद के 'गांधी सभागार' में हुआ था.कार्यशाला में मनरेगा और वन निभाग के मंडलीय अधिकारिओं के अतिरिक्त जल-संरक्षण के विशेषज्ञ के रूप में जल-बिरादरी के अरविन्द त्रिपाठी उपस्थित रहे.
अपने स्वागत भाषण में श्री मेश्राम ने मानव के जीवन में पानी की महत्ता पर जोर देते हुए रहीम द्वारा रचित पंक्तियों को आज भी सर्वथा सत्य बताया.उन्होंने कहा एक वृक्ष अपने जीवन और जीवन के बाद भी मानव के जीवन के ब्व्हाले के लिए काम करता है. शास्त्रों में एक वृक्ष को दस पुत्रों से अधिक श्रेष्ठ बताया गया है. जल और जंगल के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है. उन्होंने सरकारी अधिकारिओं को मंडल में तालाबों के संरक्षण को प्रथम प्राथमिकता पर रखने पर जोर देते हुए प्रख्यात गांधीवादी डा. अनुपम मिश्र की पुस्तक "आज भी खरे हैं तालाब", सी.एस. ई. की पुस्तक "बूंदों की संस्कृति", सहित पांच किताबों का सेट उपहार दिया और इन पुस्तकों का अध्ययन करने पर जोर दिया. इस अवसर पर उनके द्वारा लिखित पुस्तक "सूखा कुआँ" का भी विमोचन अरविन्द त्रिपाठी के द्वारा किया गया.श्री मेश्राम ने मुख्य विकास अधिकारी , इलाहाबाद द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का उदघाटन किया.
कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में कानपुर से आये अरविन्द त्रिपाठी ने समस्त अधिकारिओं को आभार व्यक्त करते हुए अपने उद्बोधन में कहा वर्षा जल का नब्बे से अधिक प्रतिशत भाग प्रति वर्ष बेकार
हो जाता है और मानव के किसी भी काम नहीं आ पाता है. सरकारी अधिकारिओं को अपने स्तर पर इस व्यर्थ होने वाले जल के संरक्षण की उपयोगिता और संरक्षण के लिए स्पष्ट कार्ययोजना बनानी चाहिए.प्रदेश भर में चलायी जा रही आदर्श जलाशय योजना की कमिओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए. देश की बढती
आबादी के मद्देनजर पेयजल के बढ़ते संकट के प्रति अब चिंतनीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है.साथ ही ऐसा फसल-चक्र बनाना चाहिए जो किसी क्षेत्र विशेष की मृदा और जल की उपलब्धता के मद्देनजर उपयुक्त हो. मनरेगा विशेषज्ञ के तौर पर लखनऊ से आये प्रकाश भागवत ने मनरेगा संबंधी समस्याओं और नियमावली को स्पष्ट किया. उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारिओं को सही लागत के आधार पर योजनायें बनाने की चेतावनी दी साथ ही कच्चे और पक्के काम का सही अनुपात रखने पर जोर दिया. उन्होंने बताया की सही अनुपात न होने की दशा में बहुत सारे प्रोजेक्ट पूरे न किये जा सके और इस योजना का बहुत सारा धन बिना प्रयोग किये ही रहा गया है. सौ दिन के रोजगार के सम्बन्ध में व्याप्त भ्रम को दूर करते हुए श्री भागवत ने कहा की यदि सौ दिन से अधिक रोजगार की संभावनाएं बने तो वैधानिक रूप से गलत नहीं होगा क्योंकि इस योजना में ऎसी कोई बाध्यता नहीं है जिसमें इससे अधिक कार्य-दिवसों का सृजन नहीं किया जा सकता है.इलाहाबाद प्रखंड वन अधिकारी राजीव मिश्र ने मंडल के सभी जिलों में कम होते वन्य क्षेत्र का विवेचन करते हुए सघन वृक्षारोपण पर जोर दिया.इस वर्ष इस दिशा में और ज्यादा काम करने पर जोर देते हुए उन्होंने सभी मुख्य विकास अधिकारिओं से सहयोग की उम्मीद जताई.
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