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फिर से जीवित होंगी ग्रीनबेल्ट, हटेंगे कब्जे

      कानपुर कमिश्नर पी. के. महान्ति ने कानपुर की सबसे बड़ी ग्रीन-बेल्ट सहित शहर की सभी 43 ग्रीन-बेल्टों को अवैध कब्जों से मुक्ति दिलाने और सघन वृक्षारोपण का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा शहरीकरण के बढ़ते दबाव के कारण प्राण-वायु आक्सीजन की कमी की समस्या बढ़ने लगी है जिससे दमा सहित श्वास की सभी बीमारियाँ आज आम होती जा रही हैं . इस समस्या को दूर करने के लिए शहरी क्षेत्रों में नियोजित की गयीं सभी
ग्रीन-बेल्टों में वैज्ञानिक तरीके से वृक्षारोपण किया जाएगा. ऐसे पेड़ों को अधिक संख्या में लगाया जाएगा जो ध्वनि और वायु प्रदूषण से आम आदमी को निजात दिलाएं.
        हेलो कानपुर संवाददाता से वार्ता में श्री महान्ति ने कहा कानपुर विकास प्राधिकरण की महायोजना-२०२१ में चकेरी एयरफोर्स के पीछे प्योंदी सहित 13 गावों की जमीन को ग्रीनबेल्ट घोषित किया गया है. बताते चलें  ,  इन गावों को कानपुर नगर निगम की परिधि में ले लिया  गया था जिससे यहाँ की जमीन की खरीद-फरोख्त अत्यंत  महेंगी  हो  गयी  थी  क्योंकि नए बढे हुए डी. एम्. सर्किल रेट के कारण रजिस्ट्री की दर जमीन की कीमत से काफी अधिक है. ऐसे में कम उपजाऊ होती इन जमीनों पर भू-माफिया सक्रिय है.टेनरी वालों और दलालों की मदद से इन जमीनों के सौदे जारी हैं . इस सम्बन्ध में ध्यान दिलाने पर  श्री महान्ति ने कहा ऐसे सभी सौदे रद्द होंगे और इस क्षेत्र में सघन वृक्षारोपण कराया जाएगा.उन्होंने श्याम नगर में सी. ओ. डी. के पीछे से यशोदा नगर नाले तक की ग्रीनबेल्ट को भी फिर से जीवित कराने का वायदा किया. इस ग्रीन-बेल्ट का शिलान्यास  1999 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री लाल जी टंडन ने किया था. इस ग्रीन-बेल्ट में कागज़ पर एक लाख पेड़ों को लगा दिया गया था. कमिश्नर श्री महान्ति ने शहर की "ख़ूनी सड़क" के नाम से कुख्यात टाट मिल चौराहे  से यशोदा नगर चौराहे तक की  सड़क  के दोनों तरफ की ग्रीन-बेल्ट को भी फिर से जीवित करने वचन दिया और कहा की इस भूमि पर काबिज सभी अवैध कब्जेदारों को जल्द ही नोटिस देकर इस भूमि को मुक्त कराया जाएगा. उन्होंने अन्य सभी ग्रीन-बेल्टों की हालत को सुधारने के लिए कानपुर जिलाधिकारी  के माध्यम से कानपुर नगर निगम और कानपुर विकास प्राधिकरण को ग्रीन-बेल्टों की हालत की समीक्षा करने की भी बात कही.

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