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बाबा प्रखर के विपरीत कम ताम-झाम के साथ शुरू किया गया भ्रष्टाचार के विरुद्ध नव-युव संग्राम

‎................ आज २६ जनवरी फिर एक बार नयी इबारत लिख गया. कानपुर से हई ये शुरुआत आने वाले समय में क्या रूप लेगी ये अभी किसी कि समझ से परे है. मैंने नन्हीं से परी सबा कयूम से कहा आज तुम्हारे नन्हे-नन्हें क़दमों से मीलों लंबे रास्ते कि शुरुआत होगी. राह में सभी तरह के लोग मिलेंगे. जो डराएंगे , सतायेंगे और धमकाएंगे और पथ भ्रष्ट करने के ...सभी तरीके अख्तियार करेंगे. इन रास्तों में कठिनाई भी आएगी क्योंकि सभी तरफ भ्रष्टाचार का घना अँधेरा है. ऐसा भी होगा कि जो लोग आज यहाँ नहीं आये हैं उन्हें किसी कि शुरुआत करने का इंतज़ार हो या फिर ऐसा हो कि आज साथ चले लोगो रास्ता लंबा और कठिन देखकर साथ छोड़ दे .पर ऐसे में दुनिया कि आंधिओं से बचकर अपना और अपने उद्देश्य कि रक्षा करना ही मूल आवश्यकता होगी.
शायद वो और उनकी छोटी सी भीड़ ये नहीं जान पायी कि कानपुर के आला प्रशासनिक अधिकारिओं के द्वारा उनकी एक-एक गतिविधिओं पर निगाह राखी जा रही थी. आजादी के इतने सालों के बाद भी प्रशासन का तरिका नहीं बदल पाया है. क्या ये हमारी गुलाम मानसिकता का द्योतक नहीं है ? अभी वो सभी ये नहीं जान पा रहे थे कि उन्होंने कितना बड़ा काम करदिया है ? उनके कार्यक्रम स्थल से कुछ किलोमीटर कि दूरी पर एक बाबा पांच करोड से अधिक कि रकम से होने वाले यग्य के माध्यम से भष्टाचार दूर करने का उपक्रम कर रहा है. पूरी सरकारी मशीनरी और व्यापारिओं और अपराधिओं की काली कमाई से होने वाले इस यज्ञ के पूरी तरह विपरीत आज बढती महंगाई और भ्रष्टाचार कि मार झेल रहे युवा पीढ़ी कि उकताहट से उपजे इस आंदोलन के परिणाम दीर्घगामी होंगे.
आप सभी इस नन्ही परी सबा को उसके सद्प्रयासों के लिए संबल प्रदान करें.

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