मित्रों आज मैंने अपने पिछले पोस्ट का हल पा लिया है. भारत मिश्र से बहुत दूर है . कितना ? बहुत ज्यादा. ये मेरा किसी भ्रम या राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत होकर कहा गया कथन नहीं है. ये मेरा विशवास और निर्णय है. कारण भी बताता चलूँ.
भारत भाग्य पर आधारित जीवन जीने वाले बहुतायत जनसंख्या वाला देश है. हम अपनी समस्या खुद हल करने का रास्ता नहीं... खोजने वाले लोग हैं. अपनी सभी समस्याओं के लिए आसमान से किसी फ़रिश्ते या देव-दूत के आने कि प्रतीक्षा में रहने वाले लोग हैं. और दूसरी बात ये कि मिश्र आने के लिए वहाँ जैसी तानाशाही भी तो अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. जो अभी हमारे देश में नहीं है. जुल्म अभी इतना नहीं बढ़ा है. अभी रोटी-बेटी पर ख़तरा नहीं आया है. आजाद देश का शासक वर्ग ये जानता ही कि क्या न करो जिससे बचाव बना रह सकता है और मिश्र को और दूर बनाए रखा जा सकता है.मध्यम वर्ग अभी भारत में एक मजबूत कड़ी है, जो करों कि मार अभी झेलने में सक्षम है.. इसलिए हम अभी मिश्र से कोसों दूर हैं.
भारत भाग्य पर आधारित जीवन जीने वाले बहुतायत जनसंख्या वाला देश है. हम अपनी समस्या खुद हल करने का रास्ता नहीं... खोजने वाले लोग हैं. अपनी सभी समस्याओं के लिए आसमान से किसी फ़रिश्ते या देव-दूत के आने कि प्रतीक्षा में रहने वाले लोग हैं. और दूसरी बात ये कि मिश्र आने के लिए वहाँ जैसी तानाशाही भी तो अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. जो अभी हमारे देश में नहीं है. जुल्म अभी इतना नहीं बढ़ा है. अभी रोटी-बेटी पर ख़तरा नहीं आया है. आजाद देश का शासक वर्ग ये जानता ही कि क्या न करो जिससे बचाव बना रह सकता है और मिश्र को और दूर बनाए रखा जा सकता है.मध्यम वर्ग अभी भारत में एक मजबूत कड़ी है, जो करों कि मार अभी झेलने में सक्षम है.. इसलिए हम अभी मिश्र से कोसों दूर हैं.
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