भारत के इतिहास में शर्माओं का भी अति महत्वपूर्ण स्थान रहा है. विष्णु शर्मा यानी चाणक्य से शुरू करिये और चलते चले आइये , तमाम शर्माओं ने टनों कागज़ काले करने लायक कारनामे किये हैं. सत्यनारायण कि कथा में पंडित जी कहते हैं कि ‘अमुक नाम शर्मा’ और कहते हैं कि अपना नाम लो. बचपन से इसी तरह से मैं इस कथा को सुनता आ रहा हूँ. पिताजी के पिता जी भी इसी तरह से कथा सुनते आ रहे हैं. यानी हर युग में था तो ये एक ‘चिरजीवी शर्मा’.
आजादी के बाद इन शर्माओं का जोर-जुलुम कुछ ज्यादा ही बढ़ गया. एक से बढ़कर एक शर्मा हुए हैं जिनके काले कारनामे हरी कि कथा कि तरह ही अनंत हैं. बी.एल.शर्मा ‘प्रेम’, सुखराम शर्मा, आर.के. शर्मा आदि-आदि. कानपूर के पहले नगर प्रमुख रतनलाल जी भी शर्मा ही थे. उनके अति नाम कमाऊ सूअर भगाऊ बेटे अनिल शर्मा भी कानपुर में इसी पद पर जनता के द्वारा चुने गए थे. ज्यादा दूर मत जाइए वर्ष 2011 में कानपुर में हुए लक्षचंडी यज्ञ के माध्यम से भ्रष्टाचार को भगाने में लगे दो शर्मा, एक शराब माफिया शर्मा और दूसरा धूप बत्ती वाला शर्मा, अति सक्रिय रहे.
कानपुर में तैनात रहे पूर्व डी.आई.जी. हरी राम शर्मा का समय देश अभी तक नहीं भूला है, जब ताबडतोड चेन स्नेचिंग हुआ करती थी. इन्हीं शर्माओं की अनंत गाथा के मध्य एक और ऐसे शर्मा हैं जो अपने तरीके से दुष्टों और भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाने का काम कर रहे हैं, वे हैं सुरेन्द्र शर्मा. पर ऊपर बताए गए अन्य महान शर्माओं के चर्चे इतने महान हैं कि इन बेचारे की आवाज नक्कारखाने में तूती जैसी हो जाती है.
बचपन में एक कहानी सुनी थी कि किसी परिवार के लोग ट्रेन में यात्रा कर रहे थे कि एक हमसफर शर्मा जी से बातें होती रहीं. अपना स्टेशन आने पर परिवार उतर गया और अपनी एक अटैची छोड़ आया . घर आने के बाद सभी परिवारी लोग दुनिया के अन्य लोगों कि ही तरह से उन शर्मा जी भला-बुरा कहता रहा. कुछ दिनों बाद एक दिन वही शर्मा जी किसी तरह पता लगा कर आये और उसी अटैची को वापस कर गए और बच्चों से कह गए कि बताना कि शर्मा जी आये थे और फिर आयेंगे. देश और मैं अभी भी उन्हीं शर्मा जी का इन्तजार कर रहे हैं . वो तो आज भी नहीं आये पर आ गए बहुत से ऐसे शर्मा जिन्हें वास्तव में आना नहीं था. आपने किसी ऐसे शर्मा को यदि जानते हों, जिन्हें मैं ढूंढ रहा हूँ तो जरूर बताइयेगा.........
आजादी के बाद इन शर्माओं का जोर-जुलुम कुछ ज्यादा ही बढ़ गया. एक से बढ़कर एक शर्मा हुए हैं जिनके काले कारनामे हरी कि कथा कि तरह ही अनंत हैं. बी.एल.शर्मा ‘प्रेम’, सुखराम शर्मा, आर.के. शर्मा आदि-आदि. कानपूर के पहले नगर प्रमुख रतनलाल जी भी शर्मा ही थे. उनके अति नाम कमाऊ सूअर भगाऊ बेटे अनिल शर्मा भी कानपुर में इसी पद पर जनता के द्वारा चुने गए थे. ज्यादा दूर मत जाइए वर्ष 2011 में कानपुर में हुए लक्षचंडी यज्ञ के माध्यम से भ्रष्टाचार को भगाने में लगे दो शर्मा, एक शराब माफिया शर्मा और दूसरा धूप बत्ती वाला शर्मा, अति सक्रिय रहे.
कानपुर में तैनात रहे पूर्व डी.आई.जी. हरी राम शर्मा का समय देश अभी तक नहीं भूला है, जब ताबडतोड चेन स्नेचिंग हुआ करती थी. इन्हीं शर्माओं की अनंत गाथा के मध्य एक और ऐसे शर्मा हैं जो अपने तरीके से दुष्टों और भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाने का काम कर रहे हैं, वे हैं सुरेन्द्र शर्मा. पर ऊपर बताए गए अन्य महान शर्माओं के चर्चे इतने महान हैं कि इन बेचारे की आवाज नक्कारखाने में तूती जैसी हो जाती है.
बचपन में एक कहानी सुनी थी कि किसी परिवार के लोग ट्रेन में यात्रा कर रहे थे कि एक हमसफर शर्मा जी से बातें होती रहीं. अपना स्टेशन आने पर परिवार उतर गया और अपनी एक अटैची छोड़ आया . घर आने के बाद सभी परिवारी लोग दुनिया के अन्य लोगों कि ही तरह से उन शर्मा जी भला-बुरा कहता रहा. कुछ दिनों बाद एक दिन वही शर्मा जी किसी तरह पता लगा कर आये और उसी अटैची को वापस कर गए और बच्चों से कह गए कि बताना कि शर्मा जी आये थे और फिर आयेंगे. देश और मैं अभी भी उन्हीं शर्मा जी का इन्तजार कर रहे हैं . वो तो आज भी नहीं आये पर आ गए बहुत से ऐसे शर्मा जिन्हें वास्तव में आना नहीं था. आपने किसी ऐसे शर्मा को यदि जानते हों, जिन्हें मैं ढूंढ रहा हूँ तो जरूर बताइयेगा.........
अरविन्द त्रिपाठी जी,
ReplyDeleteआप टनों के हिसाब से मिलने वाले शर्मा जी के बावजूद किसी ऐसे शर्मा जी की तलाश में थे जिसे अपने भारत देश में आना चाहिए था |
आपके इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हुईं - जश्न मनाइए - वो शर्मा जी - आनन्द जी. शर्मा आखिर आ ही गए !!!