कानपुर के जिलाधिकारी डा. हरिओम ने नौ मार्च को स्वयं अपनी पूरी टीम के साथ जाकर कानपुर के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध कराने का जिम्मा उठाये छह स्वयंसेवी संगठनों का दौरा किया था. मैंने उनके कानपुर पद-भार ग्रहण करने के बाद इस और उनका ध्यान आकृष्ट कराया था. जिसके परिणाम स्वरुप ये कार्यवाही की गयी थी.ये शिकायत 'फेस-बुक' के माध्यम से की गयी थी.जिलाधिकारी महोदय को इन संस्थाओं में विभिन्न प्रकार की कमियां प्राप्त हुयी थी.भोजन में पोषकता की कमी सहित साफ़-सफाई और निरंतर तैयार मध्यान्ह भोजन की आपूर्ति की भी कमियां उजागर हुयी थीं.
कल यानी ३१ मार्च को कानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी,अरुणोदय ग्रामोद्योग, बापू ग्राम विकास संस्थान और युवा ग्राम विकास समिति को इस काम से हटा दिया गया है. उन्होंने बताया वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी प्रेम नगर के मदरसों और सरकारी सहायता प्राप्त केन्द्रों को, अरुणोदय ग्रामोद्योग प्रेम नगर सी.आर.सी. के परिषदीय विद्यालयों को, बापू ग्राम विकास संस्थान हरजेंदर नगर सी.आर.सी. के स्कूलों को मिड-डे मील उपलब्ध कराती थीं. उन्होंने यह भी सूचना दी, जब तक नयी संस्थाएं तय नहीं होती,तब तक सी.आर.सी. की अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी.
इन सभी पका हुआ खाद्यान उपलब्ध कराने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं में प्रमुख संस्था "सेवा" को क्लीन-चिट दिया जाना संदिग्ध है , जो की गयी प्रशासनिक कार्यवाही को नाकाफी मानने के लिए पर्याप्त है .कारण ये है , जिस प्रेम नगर सी.आर.सी. के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के लिए मिड-डे मील उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी में गडबडी मानकर जिन अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं पर दंडात्मक कार्यवाही की गयी है उन्हें ये भोजन उपलब्ध करवाने का 'किचेन' इसी 'सेवा' संस्था के द्वारा संचालित होता है. ऐसे में मुख्य रूप से इस 'भ्रष्टाचार' के वट-वृक्ष की जड़ प्रहार करने का प्रयास न करके केवल शाखाओं में भी सूखी हुयी शाखाओं को काटना सही कार्यवाही नहीं होगी.
दूसरी तरफ बी. एस. ए. कार्यालय के सूत्र बताते हैं इस 'सेवा' संस्था को कानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार पाण्डेय सहित कई आला अधिकारिओं का संरक्षण प्राप्त है. ये संस्था इसी प्रकार से पहले भी एक बार काली सूची में डाल दी गयी थी.परन्तु इन्ही अधिकारी महोदय की विशेष कृपा से इसने अपने रूप का विस्तार करके अन्य चार नामों से इन काम को ले लिया. पांच नाम से शहर के बहुत बड़े भाग में करोड़ों का हेर-फेर करने वाली इस संस्था के जिन चार रूपों की प्रतिबंधित किया गया है,उन्हें यदि दण्डित भी किया जाए तो प्रशासन की सक्रियता का कोई असर हो. अन्यथा अब तो इन सभी का काम तो सरकारी अधिकारिओं के द्वारा घोषित रूप से 'सेवा' को दे दिया गया है. इस दंड के माध्यम से काम और दाम अब सीधे रूप से 'सेवा' के पास ही सुनिश्चित हो गया है. दबी जुबान में एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया जिलाधिकारी के छापे के एक माह बाद की गयी इस कार्यवाही में ही प्रशासन की मंशा और नीयत पर संदेह स्पष्ट होता है. वैसे भी देर से दिया गया न्याय अन्याय ही कहलाता है. और अन्याय जब बेसिक शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में हो तो क्या कहने ? पर ऐसा लगता नही जिलाधिकारी इस पूरे मामले से अनजान होंगे.अब देखना है यह है 'सेवा' को उनकी की गयी इस कार्यवाही का कब तक लाभ मिलता है. उनका कहना है कहीं 'सेवा' ने सब-कुछ सेट तो नहीं कर लिया , यदि ऐसा है तो भी और नहीं है तो भी , सरकारी जमीन पर अपना खाना बनाने का कारखाना स्थापित किये सेवा और इसी शहर में मिड-डे मील घरेलू सिलेंडरों से बनवाने वाली क्लीन-चिट पायी शेष दूसरी संस्था का साफ़ सुरक्षित बच जाना मामले को संदिग्ध तो बनाता ही है. दूसरी तरफ इन दोषी संस्थाओं पर कानूनी कार्यवाही न किया जाना भी क़ानून के लंबे पर कमजोर हाथों का आभास दिलाता है.अब देखना ये है जिलाधिकारी डा. हरिओम क्या निर्णय लेते हैं और 'सेवा' कब तक खैर मनाती है.
कल यानी ३१ मार्च को कानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी,अरुणोदय ग्रामोद्योग, बापू ग्राम विकास संस्थान और युवा ग्राम विकास समिति को इस काम से हटा दिया गया है. उन्होंने बताया वर्ल्ड वेलफेयर सोसाइटी प्रेम नगर के मदरसों और सरकारी सहायता प्राप्त केन्द्रों को, अरुणोदय ग्रामोद्योग प्रेम नगर सी.आर.सी. के परिषदीय विद्यालयों को, बापू ग्राम विकास संस्थान हरजेंदर नगर सी.आर.सी. के स्कूलों को मिड-डे मील उपलब्ध कराती थीं. उन्होंने यह भी सूचना दी, जब तक नयी संस्थाएं तय नहीं होती,तब तक सी.आर.सी. की अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को जिम्मेदारी सौंपी जायेगी.
इन सभी पका हुआ खाद्यान उपलब्ध कराने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं में प्रमुख संस्था "सेवा" को क्लीन-चिट दिया जाना संदिग्ध है , जो की गयी प्रशासनिक कार्यवाही को नाकाफी मानने के लिए पर्याप्त है .कारण ये है , जिस प्रेम नगर सी.आर.सी. के प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के लिए मिड-डे मील उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी में गडबडी मानकर जिन अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं पर दंडात्मक कार्यवाही की गयी है उन्हें ये भोजन उपलब्ध करवाने का 'किचेन' इसी 'सेवा' संस्था के द्वारा संचालित होता है. ऐसे में मुख्य रूप से इस 'भ्रष्टाचार' के वट-वृक्ष की जड़ प्रहार करने का प्रयास न करके केवल शाखाओं में भी सूखी हुयी शाखाओं को काटना सही कार्यवाही नहीं होगी.
दूसरी तरफ बी. एस. ए. कार्यालय के सूत्र बताते हैं इस 'सेवा' संस्था को कानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार पाण्डेय सहित कई आला अधिकारिओं का संरक्षण प्राप्त है. ये संस्था इसी प्रकार से पहले भी एक बार काली सूची में डाल दी गयी थी.परन्तु इन्ही अधिकारी महोदय की विशेष कृपा से इसने अपने रूप का विस्तार करके अन्य चार नामों से इन काम को ले लिया. पांच नाम से शहर के बहुत बड़े भाग में करोड़ों का हेर-फेर करने वाली इस संस्था के जिन चार रूपों की प्रतिबंधित किया गया है,उन्हें यदि दण्डित भी किया जाए तो प्रशासन की सक्रियता का कोई असर हो. अन्यथा अब तो इन सभी का काम तो सरकारी अधिकारिओं के द्वारा घोषित रूप से 'सेवा' को दे दिया गया है. इस दंड के माध्यम से काम और दाम अब सीधे रूप से 'सेवा' के पास ही सुनिश्चित हो गया है. दबी जुबान में एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया जिलाधिकारी के छापे के एक माह बाद की गयी इस कार्यवाही में ही प्रशासन की मंशा और नीयत पर संदेह स्पष्ट होता है. वैसे भी देर से दिया गया न्याय अन्याय ही कहलाता है. और अन्याय जब बेसिक शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में हो तो क्या कहने ? पर ऐसा लगता नही जिलाधिकारी इस पूरे मामले से अनजान होंगे.अब देखना है यह है 'सेवा' को उनकी की गयी इस कार्यवाही का कब तक लाभ मिलता है. उनका कहना है कहीं 'सेवा' ने सब-कुछ सेट तो नहीं कर लिया , यदि ऐसा है तो भी और नहीं है तो भी , सरकारी जमीन पर अपना खाना बनाने का कारखाना स्थापित किये सेवा और इसी शहर में मिड-डे मील घरेलू सिलेंडरों से बनवाने वाली क्लीन-चिट पायी शेष दूसरी संस्था का साफ़ सुरक्षित बच जाना मामले को संदिग्ध तो बनाता ही है. दूसरी तरफ इन दोषी संस्थाओं पर कानूनी कार्यवाही न किया जाना भी क़ानून के लंबे पर कमजोर हाथों का आभास दिलाता है.अब देखना ये है जिलाधिकारी डा. हरिओम क्या निर्णय लेते हैं और 'सेवा' कब तक खैर मनाती है.
are sir bina officers ki marji ke kanpur mein kuch illegal nahi ho skta example :- ursla ke footpath pr se mkt chnd seconds mein hatwa di DIG sahab ne
ReplyDeleteagar adhikari ( BSA YA DM SAHAB) ye khe ki mein anjaan hoon TO YE TO UNKI KABLIYAT PR DHABBA HOGA kyoki upsc or govt ne unhe appoint hi garbadiya rokne ke liye kiya hai or mid day meal ki kahani to bachoo se poochiye.
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