अट्ठाईस मार्च 2011, के " चौथी दुनिया ", अखबार में पेज - 18 पर छपी ये खबर कानपुर में एक आला अधिकारी की बदनीयती या भ्रष्टाचार के बाद भी सुरक्षित रहने खुश-फहमी का खुलासा करती है. आप की क्या राय है ? पढिये और बताइए -
रजिस्ट्रार कार्यालय का काला कारनामा
उत्तर प्रदेश में आज-कल भू-माफिया सक्रिय है.इसमें सरकार के आला अधिकारी भी उसका साथ दे रहे हैं. खुलेआम ऊपर तक देना होता है, का नारा आजकल वे अधिकारी भी लगाते हुए मिल जाते हैं जिनका ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा माना जाता है. स्थिति यह है की प्रदेश में नियम-कायदों को ताक पर रखकर रजिस्ट्रियां की जा रही हैं.
जन सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, सुपर्वैजारी हाउसिंग सोसाइटी , लिमिटेड , कानपुर को अनियमितत तरीके से भूखंडों के क्रय-विक्रय पर अपर आवास आयुक्त/अपर निबंधक वी. डी. मिश्र द्वारा ४ जनवरी,२०११ को रोक लगा दी गयी थी. ऐसा इस हाउसिंग सोसाइटी में व्याप्त भ्रष्टाचार के उजागर जो जाने के बाद कानूनी स्थिति मजबूत करने के मद्देनजर किया गया था. जांच में भूखंडों की खरीद-फरोख्त में गडबड साबित होने के बाद ही ऐसा निर्णय लिया गया था. इस आदेश को आवश्यक कारवाही के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) कानपुर सहित समस्त अधिकारिओं को भेजा गया था.
प्रदेश सरकार के इस आदेश की अवहेलना करते हुए कानपुर रजिस्ट्रार कार्यालय में उक्त सोसाइटी द्वारा १९ जनवरी.२०११ को सैनी शिक्षा संस्थान के मैनेजर सरदार मनमोहन सिंह के पक्ष में ०.२१५ हेक्टेअर जमीं की रजिस्ट्री कर डी गयी. यह जमीन लगभग एक बीघे से ज्यादा है, जबकि उक्त सोसाइटी का यह नियम है की दो सौ वर्ग गज से अधिक का कोई भूखंड नहीं बेचा जाएगा. इस सोसाइटी में लंबे समय से विवाद चल रहा था. यह बात सरदार मनमोहन सिंह को पता थी, पर कथित राजनितिक और आपराधिक संपर्कों के बल पर उनहोंने जमीं का सौदा कर लिया. हद तो तब हो गयी जब रजिस्ट्री में यह दर्शाया गया की वे कृषि कार्यों के लिए भूमि को ले रहे हैं. जमीं का प्रायोगिक परिवर्तन भी उन्होंने लगे हाथ करा लिया. रजिस्ट्रार कार्यालय सहित अपर जिलाधिकार (वित्त एवं राजस्व) आर. के राम के संज्ञान में पूरा मामला था. इसके बावजूद रजिस्ट्री कर दी गयी.
घपला शासन के संज्ञान में लाया जाएगा
इस पूरे मामले की जांच करने आये आवास अधिकारी विमलेश कुमार दुबे और आवास अधिकारी मनोज कुमार गौतम सोसाइटी के मामलों से हतप्रभ रह गए. उनका कहना है की प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर किसी माफिया ने इस पूरी सोसाइटी को हाइजैक कर लिया है. वर्तमान अध्यक्ष और सचिव तो सत्ताधारी राजनितिक दल के दबंग मोहरे मात्र हैं. राजनीति में ऊंची पैठ रखने वाले आपराधिक छवि के नेताओं की रजिस्ट्रार कार्यालय में तूती बजती है और अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) आर. के. राम का उन्हें संरक्षण प्राप्त है. सभी मामले हमारे संज्ञान में है और उनकी जांच के बाद उन्हें दोषपूर्ण मानते हुए प्रदेश शासन के समक्ष रखा जाएगा और दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही की संस्तुति की जायेगी. श्री गौतम कहते हैं की नियम-क़ानून को ताक पर रखकर की गयी इस रजिस्ट्री में समिति की निबंधित उपविधि की धारा १०४ में वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. साथ ही इस भूमि के विक्रय से प्राप्त रुपयों का समिति के अभिलेखों और बैंक खतों में उल्लेख भी नहीं किया गया है. अतः यह सीधे-सीधे गबन के मामले बनते हैं. उन्होंने इस रजिस्ट्री के अतिरिक्त इस सोसाइटी की समिति द्वारा की गयी अन्य सभी दस रजिस्ट्रियों को भी रद्द करने का फैसला किया है. आवास अधिकारी मनोज कुमार गौतम कहते हैं की सोसाइटी ने इस क़ानून विरुद्ध किये गए कम से खुद को पाक-साफ़ जताते हुए सचिव चंद्रमोहन कुरील को पद से हटा दिया है और इसके सभी ऐसे कार्यों से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है.दरअसल, यह सचिव के किये गए घपले से बचने के लिए उठाया गया कदम है, जो नाकाफी है. परन्तु इसी बीच इस दोनों आवास अधिकारिओं का स्थानांतरण का दिया गया है और इसका कारण मामले की निष्पक्ष जांच करना बताया जा रहा है. बड़े लोगों का संरक्षण प्राप्त भू-माफिया ने स्वयं को फंसता देख दोनों अधिकारिओं का स्थानांतरण करवा दिया. अंततः वी . डी. मिश्र ने सोसाइटी द्वारा की गयी सभी रजिस्ट्रियों को रद्द करने का फैसला किया है. सरकार के एक आला अधिकारी की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय कमेटी भी गठित की गयी है.
रजिस्ट्रार कार्यालय का काला कारनामा
उत्तर प्रदेश में आज-कल भू-माफिया सक्रिय है.इसमें सरकार के आला अधिकारी भी उसका साथ दे रहे हैं. खुलेआम ऊपर तक देना होता है, का नारा आजकल वे अधिकारी भी लगाते हुए मिल जाते हैं जिनका ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा माना जाता है. स्थिति यह है की प्रदेश में नियम-कायदों को ताक पर रखकर रजिस्ट्रियां की जा रही हैं.
जन सूचना अधिकार अधिनियम २००५ के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, सुपर्वैजारी हाउसिंग सोसाइटी , लिमिटेड , कानपुर को अनियमितत तरीके से भूखंडों के क्रय-विक्रय पर अपर आवास आयुक्त/अपर निबंधक वी. डी. मिश्र द्वारा ४ जनवरी,२०११ को रोक लगा दी गयी थी. ऐसा इस हाउसिंग सोसाइटी में व्याप्त भ्रष्टाचार के उजागर जो जाने के बाद कानूनी स्थिति मजबूत करने के मद्देनजर किया गया था. जांच में भूखंडों की खरीद-फरोख्त में गडबड साबित होने के बाद ही ऐसा निर्णय लिया गया था. इस आदेश को आवश्यक कारवाही के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) कानपुर सहित समस्त अधिकारिओं को भेजा गया था.
प्रदेश सरकार के इस आदेश की अवहेलना करते हुए कानपुर रजिस्ट्रार कार्यालय में उक्त सोसाइटी द्वारा १९ जनवरी.२०११ को सैनी शिक्षा संस्थान के मैनेजर सरदार मनमोहन सिंह के पक्ष में ०.२१५ हेक्टेअर जमीं की रजिस्ट्री कर डी गयी. यह जमीन लगभग एक बीघे से ज्यादा है, जबकि उक्त सोसाइटी का यह नियम है की दो सौ वर्ग गज से अधिक का कोई भूखंड नहीं बेचा जाएगा. इस सोसाइटी में लंबे समय से विवाद चल रहा था. यह बात सरदार मनमोहन सिंह को पता थी, पर कथित राजनितिक और आपराधिक संपर्कों के बल पर उनहोंने जमीं का सौदा कर लिया. हद तो तब हो गयी जब रजिस्ट्री में यह दर्शाया गया की वे कृषि कार्यों के लिए भूमि को ले रहे हैं. जमीं का प्रायोगिक परिवर्तन भी उन्होंने लगे हाथ करा लिया. रजिस्ट्रार कार्यालय सहित अपर जिलाधिकार (वित्त एवं राजस्व) आर. के राम के संज्ञान में पूरा मामला था. इसके बावजूद रजिस्ट्री कर दी गयी.
घपला शासन के संज्ञान में लाया जाएगा
इस पूरे मामले की जांच करने आये आवास अधिकारी विमलेश कुमार दुबे और आवास अधिकारी मनोज कुमार गौतम सोसाइटी के मामलों से हतप्रभ रह गए. उनका कहना है की प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर किसी माफिया ने इस पूरी सोसाइटी को हाइजैक कर लिया है. वर्तमान अध्यक्ष और सचिव तो सत्ताधारी राजनितिक दल के दबंग मोहरे मात्र हैं. राजनीति में ऊंची पैठ रखने वाले आपराधिक छवि के नेताओं की रजिस्ट्रार कार्यालय में तूती बजती है और अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) आर. के. राम का उन्हें संरक्षण प्राप्त है. सभी मामले हमारे संज्ञान में है और उनकी जांच के बाद उन्हें दोषपूर्ण मानते हुए प्रदेश शासन के समक्ष रखा जाएगा और दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही की संस्तुति की जायेगी. श्री गौतम कहते हैं की नियम-क़ानून को ताक पर रखकर की गयी इस रजिस्ट्री में समिति की निबंधित उपविधि की धारा १०४ में वर्णित प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. साथ ही इस भूमि के विक्रय से प्राप्त रुपयों का समिति के अभिलेखों और बैंक खतों में उल्लेख भी नहीं किया गया है. अतः यह सीधे-सीधे गबन के मामले बनते हैं. उन्होंने इस रजिस्ट्री के अतिरिक्त इस सोसाइटी की समिति द्वारा की गयी अन्य सभी दस रजिस्ट्रियों को भी रद्द करने का फैसला किया है. आवास अधिकारी मनोज कुमार गौतम कहते हैं की सोसाइटी ने इस क़ानून विरुद्ध किये गए कम से खुद को पाक-साफ़ जताते हुए सचिव चंद्रमोहन कुरील को पद से हटा दिया है और इसके सभी ऐसे कार्यों से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है.दरअसल, यह सचिव के किये गए घपले से बचने के लिए उठाया गया कदम है, जो नाकाफी है. परन्तु इसी बीच इस दोनों आवास अधिकारिओं का स्थानांतरण का दिया गया है और इसका कारण मामले की निष्पक्ष जांच करना बताया जा रहा है. बड़े लोगों का संरक्षण प्राप्त भू-माफिया ने स्वयं को फंसता देख दोनों अधिकारिओं का स्थानांतरण करवा दिया. अंततः वी . डी. मिश्र ने सोसाइटी द्वारा की गयी सभी रजिस्ट्रियों को रद्द करने का फैसला किया है. सरकार के एक आला अधिकारी की अध्यक्षता में त्रिस्तरीय कमेटी भी गठित की गयी है.
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