जिला प्रशासन के साथ बिगडैल प्रधानों को सुधारने में लगे हैं गणेश बागडिया
कल्यानपुर ब्लाक के सभागार में आई.आई.टी. और एच.बी.टी.आई. जैसे सम्मानित संस्थानों में शिक्षण का अनुभव रखने वाले प्रो. गणेश बागडिया ने अपने ही तरह की एक अलग कक्षा लगाई. मौका था नव-निर्वाचित प्रधानों को जीवन-दर्शन का ज्ञान देने का, जिसके माध्यम से गांधीजी के हिंद स्वराज के अनुसार ग्राम-पंचायत स्तर पर स्वराज लाया जा सके.कार्यक्रम में कानपुर जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम सहित डी.डी.ओ. मोहम्मद अयूब,डी.पी.आर.ओ. के.एस. अवस्थी आदि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.
पूरे प्रदेश में कानपुर में यह दूसरी बार ऐसा हो पाया की नव-निर्वाचित प्रधानों को इस प्रकार का कोई प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभी हाल में हो दस दिवसीय शिविर लगा कर इन प्रधानों को सरकारी योजनाओं और कर्तव्यों से अवगत कराते हुए तहसीलवार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था. १४ दिसम्बर के इस एक दिवसीय शिविर में प्रो. बागडिया ने प्रधानों को संपूर्ण ग्राम पंचायत को परिवार के मुखिया की तरह से पालन करने की शिक्षा दी. उन्होंने सामूहिक और सम्यक आचार-व्यवहार के पालन को व्यवहार में उतारने पर जोर देते हुए कहा स्वतत्रता,स्वराज,समाधान,सम्रद्धि,आचरण और राजनीति का संयोजन एक अनिवार्य तत्त्व है.कानपुर जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम ने प्रो. बागडिया को धन्यवाद देते हुए सभागार में आये हुए प्रधानों को यह कहा यदि इरादे ठीक रहेंगे तभी पंचायतीराज का सही उपयोग किया जा सकेगा और सरकरी योजनाओं का सही लाभ उठाया जा सकेगा.
बॉक्स-१
समाज की झांकी प्रधानों में भी झलकी
जिला पंचायतीराज अधिकारी के.एस.अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कानपुर के सभी ५५७ ग्राम-पंचायतों के प्रधानों में से १४० को इस शिविर में बुलाया गया था, जिनमे से १०५ ने उपस्थिति दर्ज कराई. बसंत पंचमी से शुरू होने वाले जिला प्रशासन द्वारा आयोजित प्रो. बागडिया के अगले सात दिवसीय शिविर में स्वेक्षा से प्रशिक्षण लेने के लिए ५३ प्रधानों ने हामी भरी. इनमे से ५ प्रधानों ने तत्काल आई.आई.टी. में १५ दिसम्बर से जारी हुयी कार्यशाला में हिस्सेदारी शुरू कर दी है.जिलाधिकारी के द्वारा स्वयं अगुवाई करने के बावजूद नव-निर्वाचित प्रधानों में लोकतान्त्रिक और जीवन मूल्यों के प्रति आकर्षण में कमी समाज में आई चहुन्तरफा गिरावट का परिणाम बताते हुए श्री अवस्थी कहते हैं तमाम प्रयासों के बाद भी अच्छे प्रधानों की खोज जारी रहेगी.मजे की बात है, समाज की ही तरह यहाँ भी अभी तक यह प्रतिशत एक से भी कम है.
बॉक्स-२
ग्राम-पंचायतों में भी हावी रिश्तेदारी
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में बड़े राजनेताओं की ही तरह से अब ग्राम-पंचायतों में भी पद के पारिवारिक और वंशानुगत बनाये रहने की होड है. तमाम ऐसे लोगों ने जो स्वयं आरक्षण के प्रतिबंधों के कारन से चुनाव नहीं लड़ सके उन्होंने अपनी पत्नी या अन्य रिश्तेदारों को प्रधान जैसा सम्मानित जनप्रतिनिधि चुनवाने में हिचक नहीं दिखाई. अब ऐसे रिश्तेदारों ने अपने आतंक मचने भी शुरू कर दिया है. कानपूर के मुख्या विकास अधिकारी नरेन्द्र शंकर पाण्डेय ने कल्यानपुर में प्रधानों की सभा में प्रधान-पतिओं को किसी प्रकार से मान्यता देने से इनकार किया था. किन्तु ऐसे प्रधानपति ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है , जो पूर्व में प्रधान या पंचायती राज व्यवस्था के अंग रहे हैं या फिर पत्नी के ‘चुनाव मैनेजर’ रहे हैं.अभी हाल में चंदा मांगने जिले के एक प्रधानपति लाठी लेकर मारने को दौड पड़े. ये खबर अखबारों में बासी नहीं हो पाई थी की विगत सोमवार को सरसौल ब्लाक में एक पूर्व प्रधान और वर्तमान में प्रधानपति अनवार अहमद ने ग्राम विकास की जांच करने गई टीम के एक सदस्य ए.डी.ओ. आई.एस.बी. बी.के. तिवारी की लात-घूंसों से पिटाई की. कपडे फाड डाले और उन्हें मुर्गा बना दिया . डी.डी.ओ.मोहम्मद अयूब और बी.डी.ओ. एस.के.रायजादा के साथ भी गाली-गलौज की गई. सूत्र बताते हैं की इंदिरा आवासों के आवंटन में की गई गडबड की जांच होनी थी जो अनवार अहमद के समय की थी.इस घटना के अगले दिन कल्यानपुर के प्रशिक्षण शिविर में मौजूद जिले के आला अफसरों में से किसी ने जिलाधिकारी को इसका ब्यौरा नहीं दिया. जब उन्हें जानकारी मिली तो उन्होंने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया जो खबर लिखने तक प्रभावी नहीं हो सका था . यह घटना सरकारी अधिकारिओं के गिरते रसूख और प्रधानपतिओं की बढती निरंकुशता का परिचायक है.
कल्यानपुर ब्लाक के सभागार में आई.आई.टी. और एच.बी.टी.आई. जैसे सम्मानित संस्थानों में शिक्षण का अनुभव रखने वाले प्रो. गणेश बागडिया ने अपने ही तरह की एक अलग कक्षा लगाई. मौका था नव-निर्वाचित प्रधानों को जीवन-दर्शन का ज्ञान देने का, जिसके माध्यम से गांधीजी के हिंद स्वराज के अनुसार ग्राम-पंचायत स्तर पर स्वराज लाया जा सके.कार्यक्रम में कानपुर जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम सहित डी.डी.ओ. मोहम्मद अयूब,डी.पी.आर.ओ. के.एस. अवस्थी आदि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.
पूरे प्रदेश में कानपुर में यह दूसरी बार ऐसा हो पाया की नव-निर्वाचित प्रधानों को इस प्रकार का कोई प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभी हाल में हो दस दिवसीय शिविर लगा कर इन प्रधानों को सरकारी योजनाओं और कर्तव्यों से अवगत कराते हुए तहसीलवार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था. १४ दिसम्बर के इस एक दिवसीय शिविर में प्रो. बागडिया ने प्रधानों को संपूर्ण ग्राम पंचायत को परिवार के मुखिया की तरह से पालन करने की शिक्षा दी. उन्होंने सामूहिक और सम्यक आचार-व्यवहार के पालन को व्यवहार में उतारने पर जोर देते हुए कहा स्वतत्रता,स्वराज,समाधान,सम्रद्धि,आचरण और राजनीति का संयोजन एक अनिवार्य तत्त्व है.कानपुर जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम ने प्रो. बागडिया को धन्यवाद देते हुए सभागार में आये हुए प्रधानों को यह कहा यदि इरादे ठीक रहेंगे तभी पंचायतीराज का सही उपयोग किया जा सकेगा और सरकरी योजनाओं का सही लाभ उठाया जा सकेगा.
बॉक्स-१
समाज की झांकी प्रधानों में भी झलकी
जिला पंचायतीराज अधिकारी के.एस.अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया कानपुर के सभी ५५७ ग्राम-पंचायतों के प्रधानों में से १४० को इस शिविर में बुलाया गया था, जिनमे से १०५ ने उपस्थिति दर्ज कराई. बसंत पंचमी से शुरू होने वाले जिला प्रशासन द्वारा आयोजित प्रो. बागडिया के अगले सात दिवसीय शिविर में स्वेक्षा से प्रशिक्षण लेने के लिए ५३ प्रधानों ने हामी भरी. इनमे से ५ प्रधानों ने तत्काल आई.आई.टी. में १५ दिसम्बर से जारी हुयी कार्यशाला में हिस्सेदारी शुरू कर दी है.जिलाधिकारी के द्वारा स्वयं अगुवाई करने के बावजूद नव-निर्वाचित प्रधानों में लोकतान्त्रिक और जीवन मूल्यों के प्रति आकर्षण में कमी समाज में आई चहुन्तरफा गिरावट का परिणाम बताते हुए श्री अवस्थी कहते हैं तमाम प्रयासों के बाद भी अच्छे प्रधानों की खोज जारी रहेगी.मजे की बात है, समाज की ही तरह यहाँ भी अभी तक यह प्रतिशत एक से भी कम है.
बॉक्स-२
ग्राम-पंचायतों में भी हावी रिश्तेदारी
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में बड़े राजनेताओं की ही तरह से अब ग्राम-पंचायतों में भी पद के पारिवारिक और वंशानुगत बनाये रहने की होड है. तमाम ऐसे लोगों ने जो स्वयं आरक्षण के प्रतिबंधों के कारन से चुनाव नहीं लड़ सके उन्होंने अपनी पत्नी या अन्य रिश्तेदारों को प्रधान जैसा सम्मानित जनप्रतिनिधि चुनवाने में हिचक नहीं दिखाई. अब ऐसे रिश्तेदारों ने अपने आतंक मचने भी शुरू कर दिया है. कानपूर के मुख्या विकास अधिकारी नरेन्द्र शंकर पाण्डेय ने कल्यानपुर में प्रधानों की सभा में प्रधान-पतिओं को किसी प्रकार से मान्यता देने से इनकार किया था. किन्तु ऐसे प्रधानपति ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है , जो पूर्व में प्रधान या पंचायती राज व्यवस्था के अंग रहे हैं या फिर पत्नी के ‘चुनाव मैनेजर’ रहे हैं.अभी हाल में चंदा मांगने जिले के एक प्रधानपति लाठी लेकर मारने को दौड पड़े. ये खबर अखबारों में बासी नहीं हो पाई थी की विगत सोमवार को सरसौल ब्लाक में एक पूर्व प्रधान और वर्तमान में प्रधानपति अनवार अहमद ने ग्राम विकास की जांच करने गई टीम के एक सदस्य ए.डी.ओ. आई.एस.बी. बी.के. तिवारी की लात-घूंसों से पिटाई की. कपडे फाड डाले और उन्हें मुर्गा बना दिया . डी.डी.ओ.मोहम्मद अयूब और बी.डी.ओ. एस.के.रायजादा के साथ भी गाली-गलौज की गई. सूत्र बताते हैं की इंदिरा आवासों के आवंटन में की गई गडबड की जांच होनी थी जो अनवार अहमद के समय की थी.इस घटना के अगले दिन कल्यानपुर के प्रशिक्षण शिविर में मौजूद जिले के आला अफसरों में से किसी ने जिलाधिकारी को इसका ब्यौरा नहीं दिया. जब उन्हें जानकारी मिली तो उन्होंने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया जो खबर लिखने तक प्रभावी नहीं हो सका था . यह घटना सरकारी अधिकारिओं के गिरते रसूख और प्रधानपतिओं की बढती निरंकुशता का परिचायक है.
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