रोज-रोज जूता । जिधर देखिये उधर ही "जूतेबाजी" । जूता नहीं हो गया, म्यूजियम में रखा मुगल सल्तनत-काल के किसी बादशाह का बिना धार (मुथरा) का जंग लगा खंजर हो गया । जो काटेगा तो, लेकिन खून नहीं निकलने देगा । बगदादिया चैनल के इराकी पत्रकार मुंतज़र अल ज़ैदी ने जार्ज डब्ल्यू बुश के मुंह पर जूता क्या फेंका ? दुनिया भर में "जूता-मार" फैशन आ गया ।... न ज्यादा खर्च । न शस्त्र-लाइसेंस की जरुरत । न कहीं लाने-ले जाने में कोई झंझट । एक अदद थैले तक की भी जरुरत नहीं । पांव में पहना और चल दिये । उसका मुंह तलाशने, जिसके मुंह पर जूता फेंकना है । जार्ज बुश पर मुंतज़र ने जूता फेंका । वो इराक की जनता के रोल-मॉडल बन गये । जिस कंपनी का जूता था, उसका बिजनेस घर बैठे बिना कुछ करे-धरे बढ़ गया । भले ही एक जूते के फेर में मुंतज़र अल ज़ैदी को अपनी हड्डी-पसली सब तुड़वानी पड़ गयीं हों । क्यों न एक जूते ने दुनिया की सुपर-पॉवर माने जाने वाले देश के स्पाइडर-मैन की छवि रखने वाले राष्ट्रपति की इज्जत चंद लम्हों में खाक में मिला दी हो । इसके बाद तो दुनिया में जूता-कल्चर ऐसे फैला, जैसे जापान का जलजला । जिधर
मूलतया कनपुरिया - बेलौस, बिंदास अन्दाज़ के साथ एक खरी और सच्ची बात का अड्डा…
यह सब जनरैल सिंह /कर्नेल सिंह बनने की लड़ाई लड़ रहे हे /और फ़ोकट में इसे द्वितीय स्वतंत्र संग्राम बताने की कोशिश कर रहे हे / पूरी टीम अन्ना और उनके अंध भक्त प्रचार के भूखे हे / प्रचार के लिए ही ५० रूपए की बनियान २०० रूपए में बेचने का धधा चल रहा हे /जिससे हवाई जहाज का खर्चा निकल रहा हे और पुरे देश में हवाई अभियान चल रहा हे / जिसकी हवा अब धीरे धीरे निकल रही हे , पूरी हवा निकल जाने पर हवाई अभियान धरातल पर आ जायेगा / अब भी समय हे टीम अन्ना प्रचार की भूख छोड़ कर धरातल पर लोगो को लोकतंत्र और वोट की ताकत समझाने के काम में अपनी उर्जा जाया करे / जब जनता जाग्रत होगी तभी क्रांति होगी ......
ReplyDeleteये आंदोलन इन गैर जिम्मेदार लोगो के बस की बात नहीं, ये सब जो आग फैला रहे है बहुत जल्द उसमे ही जल कर समाप्त हो जायेगे !
ReplyDeleteजनभावनाओ से खेलना कितना महंगा पड़ सकता है ये इनको मालूम पड़ने वाला है! चले है राष्ट्रीय आंदोलन चलाने और समझ मोहल्ला स्तर से ज्यादा नहीं ...