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आज के परिप्रेक्ष्य में अन्ना आंदोलन और मेरे कन्फ्यूजन

दोस्तों,
अभी-अभी मेरी मेमोरी लौटी है...
सोच रहा हूँ जल्दी से शेअर कर लूं...
जबरदस्त "कन्फ्यूज" हूँ.
आप सभी इस कन्फ्यूजन को कम करने में मदद करें -
कन्फ्यूजन १. अन्ना ने अनशन में कहा था की जनता के समर्थन से मुझे ऊर्जा मिलती है.
पन्द्रह अक्टूबर को कहा की मुझे मौन से ऊर्जा मिलती है.
अन्ना, सच-सच बताओ की ऊर्जा कहाँ से और कैसे मिलती है ?
देखो , मजाक मत करो...
देश का युवा बहुत सीरियस है तुम्हें लेकर . इसलिए सच बताओ....
बहुत कन्फ्यूज हूँ.....
.........
कन्फ्यूजन २. अठारह अक्टूबर को टी.वी. देखकर जाना की टीम अन्ना राहुल से मिलने दिल्ली में.
दूसरी तरफ कानपुर में भी इसी दिन टीम अन्ना के आगमन की बात कही गयी.
अन्ना मौन टूटने के तत्काल बाद ये जरूर बताना की तुम्हारी टीम कौन सी है ???
मुझे तो लगा की ये टीम केजरीवाल थी , जो कानपुर आयी थी. जो अगले चुनाव में टिकट-विकट बांटने आयी थी.
पोलिटिकल पार्टियों की तरह दौरा कर गयी या फिर डाक्टरों की तरह भ्रष्टाचार की नब्ज जांचने आयी थी.
बहुत कन्फ्यूज हूँ.....
कन्फ्यूजन ३. अरविन्द केजरीवाल ने कानपुर में हुयी प्रेस कांफ्रेंस में कहा की हमारा कोई स्टेट और सिटी का कोआर्डिनेटर नहीं है.
वही केजरीवाल लखनऊ पहुँच कर किन्हीं संजय सिंह को यू. पी. का स्टेट कोआर्डिनेटर बताते हैं.
कानपुर से  लखनऊ के बीच की दूरी और बीती रात के अंतर में इन संजय सिंह की ऎसी कौन सी योग्यता उजागर हुयी ये भी देश और हमारा प्रदेश जानना चाहता है.
मुझे तो संजय सिंह माटी का धोंधा और ट्रकों के पीछे लिखी शायरी याद करके उनको सुनाने वाले व्यक्ति से अधिक कुछ नहीं लगा.
या फिर जैसा हमारे अपने सिटी का कोआर्डिनेटर जैसा ही है ये भी- स्टेट का कोआर्डिनेटर.
बहुत कन्फ्यूज हूँ.....

कन्फ्यूजन ४.उन्नाव के कवि के. डी. शर्मा 'हाहाकारी' के शब्दों में -
"खूब बिके हैं झंडा-डंडा, खूब बिकी है 'टोपी'. आज सबै मंचन माँ बैठे, जो कल तक रहे 'आरोपी'."
झंडा, डंडा, टोपी और बनियाइन के बिजनेस में कौन से लोग लगे थे ?? और इनसे केजरीवाल टीम की क्या सांठ-गाँठ थी?? देश भर के तमाम आरोपी भी अब ठीक से साथ में हैं.
कौन किसे बचा रहा है और क्यों ??
बहुत कन्फ्यूज हूँ ......
कन्फ्यूजन ५ .शायद केजरीवाल ने यू. पी. को कोई चरागाह समझा होगा की किसी को भी कुछ  भी बना दो यू. पी. को चरना बहुत आसान है.
केजरीवाल यू. पी. और हरियाणा के अंतर को समझना और समझाना होगा . नहीं तो ऐसे ही लोग प्रक्षेपास्त्र फेंकेंगे. यहाँ राम और कृष्ण दोनों हुए हैं जो बड़े-बड़े योद्धाओं से लड़े थे. उनसे ये सब ट्रेनिंग लेते रहते हैं. उन्हें किसी बाहरी से और ज्ञान की जरूरत ही नहीं है. हम भले ही कितना ही जाति और धर्म की राजनीति में बंटे हुए हों पर देश-भक्ति किसी से सीखने की जरूरत नहीं है.
खासकर उन से जो , अपने गुरू या गुरुआनी को धोखा देकर आये हों और महान बने बैठे हों.
आगे केजरीवाल जाने ???
फिर एक बार बहुत कन्फ्यूज हूँ.......
अब बस करूं. 
क्योंकि मेरी मेमोरी अब एक बार फिर जवाब दे रही है.
अब  दिमाग फिर एक बार भांय-भांय करने लगा..............

Comments

  1. यह सब जनरैल सिंह /कर्नेल सिंह बनने की लड़ाई लड़ रहे हे /और फ़ोकट में इसे द्वितीय स्वतंत्र संग्राम बताने की कोशिश कर रहे हे / पूरी टीम अन्ना और उनके अंध भक्त प्रचार के भूखे हे / प्रचार के लिए ही ५० रूपए की बनियान २०० रूपए में बेचने का धधा चल रहा हे /जिससे हवाई जहाज का खर्चा निकल रहा हे और पुरे देश में हवाई अभियान चल रहा हे / जिसकी हवा अब धीरे धीरे निकल रही हे , पूरी हवा निकल जाने पर हवाई अभियान धरातल पर आ जायेगा / अब भी समय हे टीम अन्ना प्रचार की भूख छोड़ कर धरातल पर लोगो को लोकतंत्र और वोट की ताकत समझाने के काम में अपनी उर्जा जाया करे / जब जनता जाग्रत होगी तभी क्रांति होगी ......

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  2. ये आंदोलन इन गैर जिम्मेदार लोगो के बस की बात नहीं, ये सब जो आग फैला रहे है बहुत जल्द उसमे ही जल कर समाप्त हो जायेगे !
    जनभावनाओ से खेलना कितना महंगा पड़ सकता है ये इनको मालूम पड़ने वाला है! चले है राष्ट्रीय आंदोलन चलाने और समझ मोहल्ला स्तर से ज्यादा नहीं ...

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