......अब "ये" पूरी तरह से उपेक्षित हैं. कभी ये देश के दिलों की धड़कन हुआ करते थे. नामी-गिरामी कम्पनियां अपने ब्रांड को लोकप्रिय कराने के लिए नामचीन हस्तियों से इनका प्रचार कराती थीं और ये हिन्दी फिल्मों और आमजन के जीवन का अटूट हिस्सा रहे थे. हर घर में पाए जाने वाले "ब्रीफकेस" प्रत्येक फिल्म में विलेन और हीरो के साथ ही पुलिस के हाथों आने और नहीं आ पाने की जद्दो-जहद में कहानी की मजबूत कड़ी बनते थे. तस्करी और नाजायज माल की हेरा-फेरी में मुख्य वाहक माने जाने वाले इन ब्रीफकेसों पर स्मार्ट होती इक्कीसवीं सदी का कहर उन पर ऐसा कुछ हुआ कि अब इनकी रातों की सुबह नहीं होती.
सामान्यतया घरों में महत्वपूर्ण दस्तावेज और प्रमाणपत्र रखने के साथ ही बेशकीमती आभूषण और महंगे कपड़े रखने के काम में आने वाले "ब्रीफकेस" प्रशासनिक और कारपोरेट एक्जीक्यूटिव क्लास के अधिकारियों के हाथों में शोभायमान होते रहे हैं. डिजिटल होती दुनिया में महंगे मोबाइल, लैपटाप और टैब जैसे गैजेट्स उपयोग में आने के बाद इस एलीट वर्ग में भी इसकी विशेष उपयोगिता नहीं रह गयी है. सामान्यतया सभी घरों में अभी भी बड़े आकार के एक-दो ब्रीफकेस यानी सूटकेस मिल ही जाते हैं, जो सामान्यतया ठूंस-ठूंसकर भरे सामान के साथ घर के किसी कोने में पड़े होते हैं. यात्रा और पर्यटन के समय अब इन बड़े ब्रीफकेस यानी सूटकेसों का चलन रह नहीं गया है.
पत्रकारिता के दौरान तमाम बार छोटे और बड़े ब्रीफकेस यानी सूटकेसों के गुमनाम हालत में पाए जाने वाली ख़बरों से साबका पड़ा. बीसवीं सदी के अंतिम दो दशकों में इनमें बम और हथियार जैसी चीजें मिलने से पुलिस के द्वारा जारी किये गए चेतावनी आदेशों ने भी इसकी लोकप्रियता में कमी लाने का काम किया. बहुत बार बड़े ब्रीफकेसों यानी सूटकेसों में 'गुमनाम लाश' के पाए जाने की ख़बरों को भी तस्दीक किया गया, जिससे लालची लोगों को जेल की हवा खानी पड़ी. इन घटनाओं से लोगों का ब्रीफकेस और सूटकेस दोनों से मोह-भंग हुआ.
एक फिल्म में ऐसे ही एक बड़े ब्रीफकेस में चोर बने अक्षय कुमार को एक बच्ची मिल जाती है, जो उसे "पापा-पापा" कह गले पड़ जाती है. इस प्रकार सूटकेस की माया फिल्म की कहानी को आगे बढाने में सहायक होती है. ऐसा ही एक नोटों से भरा ब्रीफकेस या सूटकेस तब चर्चा में आया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव को स्टाक एक्सचेंज घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता द्वारा "गिफ्ट" में दिया गया, जिसनें तत्कालीन राजनीति में हंगामा खड़ा किया।
अरविन्द त्रिपाठी
07-10-2022
Very nice
ReplyDeleteब्रीफ़केस के मालिक को आप यह ब्लॉग अवश्य भेजे, जिससे वह इनको सम्मान के साथ आपके लेख के साथ ड्राइंग रूम में सजा कर रखे।
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