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कानपुर से शुरू हुआ ग्राम-स्वराज लाने का काम

कानपुर. नवम्बर का विगत महीना लोकतंत्र को मजबूत करने वाली कई घटनाओं का साक्षी बना.म्यांमार में लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए संघर्ष करने वाली आँग सांग सू की नामक महिला को स्थानीय सैनिक सरकार की नजरबंदी से मुक्ति मिली.भारत में बिहार में संपन्न हुए विधान सभा चुनावों में नितीश कुमार के फिर से मुख्यमंत्री पद सम्हालने के साथ ही देश के राजनैतिक रूप से प्रौढ़ होने का संकेत मिलने लगा है. आजादी के इतने वर्षों के बाद भी 60 प्रतिशत के लगभग अशिक्षित बिहार ने राजनीति और विकास की बात को बिना किसी लाग-लपेट के समझ कर भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत होने और करने के संकेत दिए हैं.ये संकेत पूरे देश के नकारे हो चुके नेताओं के लिए सबक बना. इसी क्रम में उत्तरप्रदेश में हाल में ही संपन्न हुए पंचायती चुनावों के बाद कानपुर के प्रशासनिक अधिकारिओं के प्रयासों से गांधी के ग्राम-स्वराज के उद्देश्यों को जन-जन तक पहुचाने के प्रयास को भी अति महत्वपूर्ण माना जा सकता है.पंचायतों के गठन की पूरी प्रक्रिया को सम्पन्न होने के बाद इन नव निर्वाचित प्रधानों को राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय सरकारी जनहितकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है.इस से पहले पूरे देश-प्रदेश में इस प्रकार का कभी भी कोई ऐसा कार्य नहीं किया गया था.जबकि पंचायतीराज के क़ानून में इस प्रकार का प्रावधान है, जो की विगत वर्षों में सरकारें अपने तरीके से व्यय कर रही हैं.
उत्तरप्रदेश में हाल में संपन्न हुए पंचायती चुनावों में कई पहलू उभर कर सामने आये.इन चुनावों में कई ऐसे लोग भी चुनाव जीत सके जिन्होंने धन के ढेर पर बैठे प्रत्याशियों से टक्कर ली. साधारण और साधन विहीन ऐसे प्रत्याशिओं की जीत से आम ग्रामीणों में ख़ुशी की लहर है.दूसरी तरफ सुविधा और धन-संपत्ति संपन्न, लेकिन जन-हितकारी छवि के प्रत्याशी भी बड़ी संख्या में जीत कर आये हैं.इस बार के पंचायत के चुनावों में बाहु-बली और दबंग छवि के लोगों की जनता ने छुट्टी करने में देर नहीं की. प्रदेश में सरकार के नाम की धमक और बड़े राजनैतिक घरानों के उत्तराधिकारी होने का भ्रम रखने वाले प्रत्याशियों की एक नहीं चली.कई मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और रसूखदार पदों पर आसीन लोग अपने परिवारीजनों को सीधे जनता से जिता नहीं सके.इस बार महिला प्रत्याशियों की भी धूम रही.किसी बड़े घराने की महिला के स्थान पर शिक्षित और युवा महिला प्रत्याशियों पर जनता ने ज्यादा भरोसा दिखाया. यह इस बात का संकेत है की 'पब्लिक सब जानती है'. आज ग्रामीणों में 'मनरेगा' सहित उन सभी सरकारी योजनाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी हो चुकी है की कोई भी प्रधान पट्टी नहीं पढ़ा सकता है.
कानपुर में 557 ग्राम-पंचायतो में संपन्न हुए चुनावों में से लगभग 60 प्रतिशत से अधिक जनता के द्वारा नकार दिए गए. इन में से लगभग 30 प्रतिशत ऐसे हैं जो पंचायतों में आरक्षण के कारण नहीं जीत सके. आम जनता में इंदिरा आवासों में की गई मनमानी, फर्जी जॉब कार्डों पर कराये गए कामों के फर्जी विकास , स्वास्थ्य योजनाओं , वृधावस्था व विधवा पेंशन योजनाओं में की गई धांधलियां और प्राथमिक शिक्षा की मिड डे मील के अनाज सहित फर्जी छात्रवृत्ति को लेकर अत्यंत रोष था.कानपुर के जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम की पहल पर कानपुर में पंचायत चुनावों के ठीक पहले शुरू की गई 'पंचायतों की खुली बैठकों' में आम ग्रामीणों के सामने पिछले पांच सालों के लेखा-जोखा की समीक्षा के समय के हंगामों ने ये संकेत दे दिए थे क़ि चुनावों के बाद स्थिति भयावह होगी.सरकारी अधिकारिओं क़ि मिली-भगत से सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने वालों क़ि खैर नहीं.चुनावी माहौल में प्रत्याशियों के समर्थकों ने उन अधिकारिओं को भी अपमानित किया जो इस खेल में लिप्त थे. कई जगहों पर हंगामों के बाद इसे बंद करा दिया गया था. कानपुर में तैनात प्रशासनिक अधिकारिओं की मंशा या सक्रियता के बावजूद प्रधानो पर नियंत्रण स्थापित नहीं किया जा सका था.इस बात की पुष्टि करते हुए कानपुर में जिला पंचायती राज अधिकारी के.एस.अवस्थी के अनुसार पिछली पंचायत अवधि में मिड डे मील योजना के अनाज का हिसाब-किताब न देने पर 322 प्रधानों के खिलाफ नोटिस जारी की गई थी. इसमें 140 प्रधान ऐसे थे जो अनाज का लेखा-जोखा नहीं प्रस्तुत कर सके थे.बाद में उनसे अनाज की रिकवरी की गई थी. सरसौल की तिल्सहरी खुर्द के प्रधान मिड दे मील के मामले में बुरी तरह फंसे थे. आर्थिक अनियमितताओ के चलते दो दर्जन प्रधानों को निलंबित किया गया था. जबकि बलात्कार सहित अन्य आरोपों में चार प्रधान बर्खास्त किये गए थे.यदि पूरे प्रदेश में सरकारी योजनाओं के धन के दुरूपयोग की कड़ी जांच कराइ जाये तो अत्यंत भयावह तस्वीर सामने आएगी. श्री अवस्थी कहते हैं सरकारी योजनों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए कानपुर के ही बिकरू ग्राम पंचायत के प्रधान को राष्ट्रपति पुरूस्कार भी मिला. हमारी मंशा प्रत्येक ग्राम-पंचायत को आदर्श ग्राम-पंचायत बनाने की है.

प्रथम चरण में २४ नवम्बर से ४ दिसम्बर तक चलने वाले इस प्रशिक्षण शिविर में कानपुर की तीनों तहसीलों में अलग-अलग तीन दिवसीय कार्यक्रम बनाया गया है. कार्यक्रम का समापन ४ दिसम्बर को कानपुर महोत्सव के दौरान पूरे जिले के समस्त नव-निर्वाचित प्रधानों की बैठक के साथ समाप्त किया गया . इस दिन सभी नवनिर्वाचित प्रधानों को पोलीथीन मुक्ति की शपथ कराने सहित उन्हें ऐसे बोरे दिए गए जिनमे वे अपने गांवों की पोलीथीन भरवा कर जिला मुख्यालय भेज देंगे.इस प्रकार की पोलीथीन को शहर में नवनिर्मित अपशिष्ट निस्तारण केंद्र में भेज दिया जाएगा.पंचायती राज विभाग कानपुर में ऐसे कार्यक्रम पूर्व में भी कर चूका है. इस प्रशिक्षण में संविधान के 73 वें संविधान संशोधन के तहत पंचायती राज लागू करने सहित पंचायतीराज कानून की प्रमुख बातें के साथ-साथ नवनिर्वाचित प्रधानों के अधिकार और कर्तव्यों को बताया गया.प्रधानों के इस प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य ग्राम पंचायतों और प्रशासनिक ढांचे में सरकारी जन-हितकारी योजनाओं को लागू कराने के लिए समन्वय स्थापित करना था. कानपुर के मुख्य विकास अधिकारी नरेन्द्र शंकर पाण्डेय ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा इस बार के चुनावों में निर्वाचित महिला प्रधानों को स्वयं ही बागडोर सम्हालनी होगी और किसी भी हालत में प्रधान-पति या उनका कोई भी अन्य रिश्तेदार प्रभावी नहीं हो सकेगा. साथ ही उन्होंने प्रशिक्षण लेने वाले प्रधानों को बधाई देते हुए प्रशिक्षण में हिस्सा न लेने वाले प्रधानों की भर्त्सना की. प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंचायती राज विभाग की तरफ से प्रधाओं को पंचायतों और समितिओं की बैठक एवं सम्पूर्ण स्वछता अभियान के बारे में जानकारियाँ दी गईं.डी.आई.आर.डी. के के. के. शुक्ल ने ग्राम पंचायतों की लेखा प्रणाली और आडिट पर जानकारी दी.तहसीलदार कानपुर सदर एस.के. रूंगटा ने भूमि प्रबंधन समिति,तालाबों के सम्बन्ध में हाईकोर्ट के आदेश और शासनादेश , जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम , चकबंदी की विशेषताओं की जानकारी दी .जिला समाज कल्याण अधिकारी पी.सी. उपाध्याय ने छात्रवृत्ति और समस्त पेंशन योजनाओं के बारे में बताया.इसके अतिरिक्त प्रधानों ग्राम-पंचायतों की लेखा-प्रणाली व आडित, मनरेगा, इंदिरा आवास, पशु चिकित्सा ,ग्राम संसाधन प्रबंधन,राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रम वनीकरण, सामाजिक वानिकी , अल्प बचत,परिवार नियोजन,कृषि, ग्राम सुरक्षा समिति और सामाजिक समरसता की जानकारियाँ दी गईं.
इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्रधानों ने प्रशासनिक अधिकारिओं की इस सक्रियता का लाभ उठाया.नव-निर्वाचित युवा और महिला प्रधानों में खासा उत्साह देखने को मिला.प्रशिक्षण के बारे में एक बुजुर्ग प्रधान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा की अब बेईमान अधिकारिओं में भी भय आने लगा है की यदि वे सरकारी योजनाओं के बारे में सब कुछ पहले से नहीं बताएँगे तो कभी भी हम सबके माध्यम से जनता अपना हक मांग सकती है और जन-विद्रोह को सम्हालना सामान्य नहीं होगा. यही कारन है की सुशासन लाने के नाम पर ऐसे प्रशिक्षण शिविर लगाये जा रहे हैं.eyचाहे वह आदर्श तालाब योजना हो या इंदिरा आवास योजना या फिर मनरेगा, सभी योजनाओं में इन्ही आला अधिकारिओं की निगरानी में ही सभी कुछ होता है और ये सब खुद को पाक-साफ़ बताते हुए हम जनता के द्वारा निर्वाचित प्रधानों पर नकेल कसने के लिए इस प्रकार के प्रशिक्षण शिविर कर रहे हैं.मीडिया के माध्यम से समय-समय पर ऐसे मामले सामने आये हैं जब इन सुशासन का दावा करने वाले अधिकारिओं की पोल खुल गई है.एक अन्य महिला प्रधान का कहना था यदि जैसा रुख प्रशासनिक अधिकारिओं ने अभी से बना रखा है वाही पालन भी किया गया तो तो निस्संदेह वास्तविक ग्राम-स्वराज स्थापित किय जा सकेगा. पर कहीं ये अधिकारीं की हम नव-निर्वाचित प्रधानों पर अपना शिकंजा पहले से ही कसने का तरीका तो नहीं. उसका प्रश्न वास्तविक और मौजूं है पर जवाब भविष्य के गर्भ में है.


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जिला प्रशासन के साथ बिगडैल प्रधानों को सुधारने में लगे हैं गणेश बागडिया
द्वितीय चरण में कल्यानपुर ब्लाक के सभागार में आई.आई.टी. और एच.बी.टी.आई. जैसे सम्मानित संस्थानों में शिक्षण का अनुभव रखने वाले प्रो. गणेश बागडिया ने अपने ही तरह की एक अलग कक्षा लगाई. मौका था नव-निर्वाचित प्रधानों को जीवन-दर्शन का ज्ञान देने का, जिसके माध्यम से गांधीजी के हिंद स्वराज के अनुसार ग्राम-पंचायत स्तर पर स्वराज लाया जा सके.कार्यक्रम में कानपुर जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम सहित डी.डी.ओ. मोहम्मद अयूब,डी.पी.आर.ओ. के.एस. अवस्थी आदि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे.
पूरे प्रदेश में कानपुर में यह दूसरी बार ऐसा हो पाया की नव-निर्वाचित प्रधानों को इस प्रकार का कोई प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अभी हाल में हो दस दिवसीय शिविर लगा कर इन प्रधानों को सरकारी योजनाओं और कर्तव्यों से अवगत कराते हुए तहसीलवार प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था. १४ दिसम्बर के इस एक दिवसीय शिविर में प्रो. बागडिया ने प्रधानों को संपूर्ण ग्राम पंचायत को परिवार के मुखिया की तरह से पालन करने की शिक्षा दी. उन्होंने सामूहिक और सम्यक आचार-व्यवहार के पालन को व्यवहार में उतारने पर जोर देते हुए कहा स्वतत्रता,स्वराज,समाधान,सम्रद्धि,आचरण और राजनीति का संयोजन एक अनिवार्य तत्त्व है.कानपुर जिलाधिकारी मुकेश मेश्राम ने प्रो. बागडिया को धन्यवाद देते हुए सभागार में आये हुए प्रधानों को यह कहा यदि इरादे ठीक रहेंगे तभी पंचायतीराज का सही उपयोग किया जा सकेगा और सरकरी योजनाओं का सही लाभ उठाया जा सकेगा

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