"प्रेम" विषय ही ऐसा है कि कभी पुराना नहीं होता. शायद ही कोई ऐसा जीवित व्यक्ति इस धरती पे हुआ हो, जिसके दिल में प्रेम की दस्तक न हुयी हो. ईश्वरीय अवतार भी पवित्र प्रेम को नकार न सके, यह इस भावना की व्यापकता का परिचायक है. उम्र और सामाजिक वर्जनाएं प्रेम की राह में रोड़ा नहीं बन पातीं, क्योंकि बंदिशें सदैव बाँध तोड़ कर सैलाब बन जाना चाहती हैं.
आज शशि कपूर और मौसमी चटर्जी अभिनीत और मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर का गाया हुआ हिन्दी फिल्म "स्वयंवर" के एक गीत सुन रहा था- "मुझे छू रही हैं, तेरी गर्म साँसें.....". इस गीत के मध्य में रफ़ी की आवाज में शशि कपूर गाते हैं कि -
लबों से अगर तुम बुला न सको तो,
निगाहों से तुम नाम लेकर बुला लो.
जिसके प्रति उत्तर में लता जी की आवाज में मौसमी चटर्जी गाती हैं कि-
तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं,
जरा अपनी आखों पे ये पलकें गिरा लो.
गौर कीजिएगा, आपको भी मेरी ही तरह अच्छा लगेगा और प्रेम की अनुभूति कराएगा. (मैं आप सबके लिए गाने का लिंक भी भेज रहा हूँ.)
अब बात साथ में लगी फोटो की, जो प्रेम पर इश्क को अधिक महत्ता प्रदान करता है. देखिये, पढ़िए और सुनिए.... प्रेम और इश्क को महसूस कीजिए क्योंकि समाज में बहुत सारी घृणा, क्रोध, रोष और नकारात्मकता को समाप्त करने के लिए केवल यही भावना सक्षम है.
मोहब्बत 24 कैरेट
ReplyDeleteहै इश्क वो आतिश ग़ालिब
ReplyDeleteजो लगाए ना लगे बुझाये न बुझे
Excelent
ReplyDeleteप्रेम और संभोग आकांक्षाओं में अंतर है
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