...... देश में शायद ही कोई होगा जिसने बाहुबली सीरीज की दोनों फ़िल्मों में से एक भी न देखी होगी और उसके कैरेक्टर "कटप्पा" को न जानता हो. वो एक वीर और साहसी योद्धा था, जो राज-सिंहासन से बंधा हुआ था. तमाम सक्षमता के बावजूद उसकी खुद की कोई महत्वाकांक्षा न थी. राजा के आदेश को पालन के लिए अपने प्रिय भांजे की हत्या जैसा जघन्य कृत्य करने में उसने सेकण्ड का भी समय न लगाया था. राजनीति को "कटप्पा" बहुत भाते हैं, जिसके पास खुद की इच्छा ना हो और राजगद्दी के लिए सबसे ज्यादा समर्पण हो. प्रभु राम के लिए बिना तर्क-वितर्क किये सर्वस्व न्योछावर करने का समर्पण रखने वाले प्रभु हनुमान, महाभारत काल में भीष्म पितामह ऐसी ही भूमिका में रहे हैं. आधुनिक राजनीति भी इस तरह के चरित्रों से भरी पड़ी है, जिनके बिना राज और दल संचालित किया जा सकना मुमकिन नहीं रहा है. ऐसा किरदार खोजना और उससे काम लेना भी एक चुनौती ही है. हाल में , प्रदेश के एक राजनीतिक दल के मुखिया के न रहने के बाद पारिवारिक एका हो गया है और मुखिया जी के "कटप्पा" ने उनके "बेटाजी" में मुखिया जी की छवि खोज कर कटप्प
ARVIND'S KONA
मूलतया कनपुरिया - बेलौस, बिंदास अन्दाज़ के साथ एक खरी और सच्ची बात का अड्डा…