भारत देश में बड़ी और छोटी गाड़ियों को फाइनेंस से खरीदना कोई जुर्म है क्या ?? आज देश भर में आसान किस्तों पर ऋण देने और दिलाने वाले सक्रिय हैं. सरकारी और गैर-सरकारी सभी प्रकार के बैंक और उनके दलाल इस काम में लगे हैं. इसके बावजूद अपने देश में इसके बाद भी माइक्रो फाइनेंसिंग की बहुत कमजोर स्थिति है. सरकार बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दल अक्सर ऋण माफी का वायदा करते हैं. उत्तर प्रदेश को पुत्तर प्रदेश बनाने के लिए इस बार मुलायम सिंह यादव ने भी पचास हज़ार से कम के सभी कृषि ऋण माफ करने का वायदा किया था. जनता ने बेरोजगारी भत्ता की ही तरह इस वायदे को भी हाथो-हाथ लिया और समाजवादी पार्टी के गुंडा पार्टी के इतिहास होने के बावजूद पूर्ण बहुमत दिलाने में कोई गुरेज नहीं की. पर बैंकों में घटती भीड़ और सेवायोजन कार्यालयों में बढती भीड़ में सह-सम्बन्ध खोजने की जरूरत है. इसके विपरीत बैंकों ने वसूली के नाम पर “वसूली गुरूओं” को सक्रिय कर दिया है, जो बिना किसी नियम-क़ानून और अधिकार के सड़क पर चलती गाड़ियों को खींचने का काम पुलिस और मीडिया में बड़े बैनर के नाम पर का...
मूलतया कनपुरिया - बेलौस, बिंदास अन्दाज़ के साथ एक खरी और सच्ची बात का अड्डा…